आखिरी दम तक सांसें सहेजने की कोशिश करता रहा दंपती
आखिरी दम तक सांसें सहेजने की कोशिश करता रहा दंपती
संवाद सहयोगी, टूंडला: भगवान आश्रम में शर्मा दंपती के छोटे से घर में आग ने जो तांडव मचाया, उसे देखने वालों के दिल दहल गए। रात में किसी समय सुलगी आग से घर चैम्बर में तब्दील हो गया और दो जिदगियां सांसों को सहेजने में आखिरी दम तक जूझते रहे, लेकिन धुआं सांसों में घुलता रहा और हिम्मत टूट गई। घर के हालात देखकर लगता था कि अजय ने कमरे से बाहर निकलने की भरसक कोशिश की, लेकिन वे उठ ही नहीं पाए।
स्टेशन रोड पर रामलीला मैदान के पास गली में चौथे नंबर का मकान अजय शर्मा का परिवार रहता था। लगभग नौ साल पहले उन्होंने मकान में नए सिरे से तैयार करवाया था। दोनों तरफ मकान होने के कारण घर हवादार नहीं था और इसी वजह से यह हादसा हो गया। लॉकडाउन के चलते अजय सुबह पांच बजे उठाकर दूध ब्रेड लेने जाते थे इसके अलावा घर से बाहर नहीं निकलते थे। पड़ोसियों के मुताबिक तीन दिन पहले अजय से सुबह नमस्कार हुई थी। उनकी पत्नी भी घर से बाहर कम निकलती थीं और बेटी एक साल से देहरादून में पढ़ाई कर रही थी।
घर के नीचे वाले हिस्से के हालात के मुताबिक माना जा रहा है कि आग लगने के कारण धुआं कमरे में भरता रहा और एसी के कारण धुआं कमरे में फैलता रहा। गहरी नींद में सोए दंपती जाग पाते, उससे पहले धुआं भर चुका था। निशा ने उठकर निकलने की कोशिश की, लेकिन उनके कपड़ों में आग लग गई और वे ज्यादा दूर तक नहीं जल पाई। वहीं दूसरे कमरे में अजय ने पलंग से उठने की कोशिश की, लेकिन धुआं भरने के कारण वे खड़े नहीं हो पाए और पलंग पर ही गिर पड़े। जंगले तोड़कर पुलिस जब तक अंदर पहुंची, तब तक निशा घुटनों से ऊपर तक खाक के ढेर में बदल चुकी थी और धुआं उठ रहा था। पुलिस के पहुंचने पर अजय के शरीर में थोड़ी हलचल थी, होंठ भी हिले, लेकिन अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। आग कहां से शुरू हुई यह कोई नहीं समझ पाया है।
-जान पर खेले पुलिस के चार जवान घर के अंदर से धुआं निकल रहा था। जंगला तोड़कर पुलिस के जवान दीपचन्द्र बघेल, विशाल, सुरेन्द्र कुंतल, अर्जुन घुस तो गए, लेकिन वहां धुआं ही धुआं था। सांस लेना मुश्किल हो रहा था, लेकिन जवानों ने हिम्मत नहीं हारी। अंदर जाने के लिए धुआं कम होना जरुरी था। मुख्य द्वार खोलने के लिए पहुंचे तो मोटा ताला लटका था। ताला तोड़ने के दौरान सांस लेना मुश्किल हो रहा था। वह बारी-बारी से खिड़की से मुंह निकालकर सांस लेते और फिर ताला तोड़ने में जुट जाते। दरवाजे का ताला टूटते ही चारों बाहर की तरफ भागे और काफी देर बाद सहज हो पाए। -लॉकडाउन ने बचा ली बेटी की जिदगी
माता-पिता के जाने से अनाथ हुई बेटी शाम तक देहरादून से नहीं आ पाई थी। प्राइवेट कॉलेज से एमबीए कर रही शर्मा दंपती की बेटी अवनी मार्च में घर लौटना चाहती थी, लेकिन अचानक लॉकडाउन लग गया और वह फंस गई। पड़ोसी बीरम सिंह ने बताया कि वह तीन माह पहले ही टूंडला से गई थी। लॉकडाउन ने उसकी जान बचा दी। यदि वह होती तो ये आग उसे भी निगल जाती। वहीं अजय शर्मा का दिल्ली में रहने वाला भाई राजीव घटना की जानकारी मिलने के बाद दोपहर पहुंच गया। वहीं पुलिस ने बताया कि बेटी को आने के लिए यहां से पास बनवाकर भेज दिया है।
हादसे के बाद टाइमलाइन.
सुबह 5:30 बजे: पड़ोसी शीतल प्रसाद शर्मा ने एसी से धुआं निकलते देखा।
5:35 बजे: मुहल्ले के लोग जुटे, कोई आवाज न आने पर दरवाजा तोड़ने का प्रयास।
5:40 बजे: पड़ोसी अदिति शर्मा ने सूचना पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी
5:55 बजे: एसएसआई प्रभाकर सागर मय पुलिस फोर्स के पहुंचे।
6:00 बजे: फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची।
6:05 बजे: एसी तोड़कर नीचे गिराया।
6:10 बजे: कटर से जंगला काटकर चार पुलिसकर्मी अंदर दाखिल हुए।
6:25 बजे: अंदर लगे ताले को तोड़कर दरवाजा खोला गया।
6:40 बजे:पुलिस ने पति को उपचार के लिए भेजा, मगर रास्ते में मौत हो गई।
7:00 बजे: सीओ टूंडला मौके पर पहुंचे।
8:00 बजे: पुलिस ने मकान को सील किया।
9.00 बजे: एसपी सिटी ने पहुंचकर जानकारी ली।