रेल प्रशासन में मची खलबली, बयान लिए
रेलकर्मियों की लापरवाही के कारण मगध एक्सप्रेस के दिव्यांग कोच का गेट न खुलने पर व्हीलचेयर से बच्चा गिर कर घायल हो गया। रेलवे अधिकारियों ने उसकी मदद नहीं की। परिजन घायल को अस्पताल लाए और फिर यात्रा रद कर अपने घर ले गए।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: रेलकर्मियों की लापरवाही के कारण मगध एक्सप्रेस के दिव्यांग कोच का दरवाजा न खुलने और भीड़ के कारण दिव्यांग युवक के गिरकर घायल होने की घटना से रेल प्रशासन में खलबली मच गई। वरिष्ठ अधिकारियों ने पीड़ित परिवार के साथ ही ड्यूटी पर तैनात अधिकारी व कर्मचारियों के बयान लिए हैं।
नारखी थाना क्षेत्र की पचवान आवासी कॉलोनी में रहने वाले उस्मान पत्नी शहनाज बेगम और दिव्यांग बेटे अमन को मगध एक्सप्रेस में बिठाने के लिए शनिवार व रविवार की रात स्टेशन गए थे। ट्रेन आने पर उन्होंने दिव्यांग कोच में पत्नी व बेटे को बिठाने का प्रयास किया, लेकिन अंदर बैठे यात्रियों ने दरवाजा नहीं खोला। उनकी पत्नी ने काफी देर दरवाजा पीटा। इस दौरान बेटा व्हीलचेयर से गिर कर घायल हो गया। सिर से खून बहने के कारण पति पत्नी मदद के लिए स्टेशन मास्टर के पास पहुंचे, लेकिन वहां से कोई मदद न मिलने पर खुद ही उसे सरकारी ट्रॉमा सेंटर ले गए। दैनिक जागरण ने रेल कर्मचारियों की लापरवाही को उजागर करते हुए यह खबर सोमवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित की थी, जिससे वरिष्ठ अधिकारी सक्रिय हो गए। दोपहर को टूंडला से रेल यातायात, वाणिज्य विभाग और रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी स्टेशन पहुंचे। यहां पीड़ित दंपति से पूरी घटना की जानकारी ली और स्टेशन मास्टर व मगध एक्सप्रेस के गार्ड से भी बयान लिए।
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स्टेशन मास्टर ने उपचार के लिए कहा था: पीआरओ
पूरे घटनाक्रम पर उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद के जनसंपर्क अधिकारी सुनील कुमार गुप्त का कहना है कि मगध के आगे और पीछे दिव्यांग कोच आते हैं, लेकिन यात्रियों को हमेशा पीछे के दिव्यांग कोच में बैठना चाहिए। स्टेशन मास्टर एसके मीणा ने भीड़ के कारण युवक के घायल होने की बात स्वीकार की है, लेकिन उपचार के लिए कहने के बाद भी दंपति के वहां से चले जाने की बात कही है। स्टेशन मास्टर का कहना है कि यदि दंपति पहले उनके पास आता तो वह पीछे के कोच में बैठने की सलाह देते।