सपा के गढ़ में शिवपाल यादव पर सन्नाटा
सपा छोड़ नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव को लेकर सुहागनगरी में सन्नाटा रहा तो सड़कों पर जश्न का माहौल था। शिवपाल ंिसह फैंस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने खुशी में मिठाइयां बांटी। हालांकि सपा के पदाधिकारी इस मामले में कुछ नहीं बोल रहे7
डॉ राहुल ¨सघई, फीरोजाबाद: सपा छोड़ नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव को लेकर सुहागनगरी में सन्नाटा रहा। न तो सड़कों पर जश्न मना और न ही समर्थकों का हुजूम नजर आया। सुभाष तिराहे पर शिवपाल फैंस क्लब ने मिठाइयां जरूर बांटी, मगर सियासी हलचल पैदा नहीं कर पाए। पार्टी के गढ़ में बगावत की राह पर चल रहे नेता भी किनारे पर ही नजर आए। हालांकि कुछ लोग वक्त के इंतजार की बात कह रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के दौरान सैफई परिवार में हुए संग्राम के बाद शिवपाल ¨सह यादव अलग-थलग पड़ गए थे। अखिलेश समर्थकों ने उनके पुतले फूूंककर विरोध जताया था। अखिलेश यादव के मुखिया बनने के बाद पार्टी की कलह शांत हुई, मगर शिवपाल का रुतबा वापस नहीं हुआ। शिवपाल के समर्थकों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। तब से लेकर अब तक शिवपाल यादव सिरसागंज और जसराना क्षेत्र में व्यक्तिगत कार्यक्रमों में आए, मगर पार्टी के पोस्टरों में जगह नहीं बना पाए।
बुधवार को शिवपाल यादव के समाजवादी पार्टी-सेक्यूलर मोर्चा की घोषणा के बाद जिले की सियासत में खलबली मच गई। सपाइयों के बीच सुगबुगाहट नजर आई, मगर न तो कोई प्रतिक्रिया देने सामने आया और न कोई जश्न मना। यहां तक कि सपा से बगावत करने वाले नेता भी घरों से बाहर नहीं निकले। शाम को शिवपाल यादव फैंस क्लब के युवाओं ने सुभाष तिराहे पर मिठाइयां बांटकर खुशी मनाई। पार्टी के नेताओं से जब पूछा गया तो कई ने कन्नी काट ली। - तीन विधानसभा क्षेत्रों में था प्रभाव.
सूबे में नंबर दो की हैसियत रखने वाले पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल का शिकोहाबाद, जसराना और सिरसागंज में खासा प्रभाव था। रिश्तेदारियों में वे खुद आते-जाते थे। विस चुनाव के दौरान चले पारिवारिक ड्रामे में जसराना के विधायक रहे रामवीर यादव ने उस वक्त शिवपाल ¨सह का साथ दिया था। इसके चलते उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी देखना पड़ा। हालांकि चुनाव हारने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे उनके पुत्र अमोल यादव अब भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। - लोस चुनाव के बाद छा गए अखिलेश और रामगोपाल..
मुलायम ¨सह का फीरोजाबाद से गहरा नाता रहा। शिकोहाबाद में जहां उनका छात्र जीवन गुजरा, वहीं रिश्तेदारियों ने भी पार्टी की पकड़ मजबूत की। पार्टी में अखिलेश युग शुरू हुआ तो शिवपाल पिछड़ते गए। 2009 लोकसभा चुनाव में फीरोजाबाद से उतरे अखिलेश यादव ने पार्टी पर मजबूत पकड़ बना ली। इसके साथ ही प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव सांसद बने। उसके बाद जिले की राजनीति प्रो. यादव के इर्द-गिर्द घूमने लगी और शिवपाल बाहर होते गए। प्रोफेसर के जन्म दिवस आयोजन से बंधी थी उम्मीद
शिकोहाबाद में पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के जन्मदिवस समारोह में शिवपाल यादव आए थे। उन्होंने अपना दर्द सुनाया था और एकता की उम्मीदें बंधाई थीं। उस वक्त नजर आ रहा था कि परिवार एक हो सकता है। मगर आयोजन के पोस्टरों पर शिवपाल की तस्वीरें नहीं लगी थीं। असली और फर्जी की है लड़ाई:
सपा से बगावत करने के बाद बाहर किए गए पूर्व विधायक अजीम भाई का कहना है कि यह लड़ाई असली और फर्जी समाजवादियों की है। शिवपाल असली समाजवादी हैं। उनके संगठन को शुभकामनाएं हैं, मगर उनके साथ जाने का फैसला मैं अकेला नहीं ले सकता। जनता के बीच होगा। वहीं पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलकर सुर्खियां बटोर चुके सपा विधायक हरिओम यादव का कहना है कि हम नेताजी के अनुयायी हैं, जहां वे हैं वहीं हम रहेंगे। अभी हम सपा में हैं।