सूदखोरों को भी करनी पड़ रही अब शहर में सफाई
निगम में 'सरकार' बदलते ही सूदखोर सफाईकर्मियों को झटका लगा है। डीएम की सख्ती के बाद जो सूदखोर बैंक के आसपास बैठे रहते थे, वे झाड़ू थाम सफाई करते नजर आ रहे हैं। निरीक्षण में अनुपस्थित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
जासं, फीरोजाबाद: निगम में 'सरकार' बदलते ही सूदखोर सफाईकर्मियों को झटका लगा है। डीएम के अभियान शुरू करने के बाद अब उनको भी झाड़ू थाम सफाई करनी पड़ रही है।
नगर निगम में तैनात कुछ स्थाई सफाई कर्मचारियों ने ब्याज का धंधा शुरू कर दिया था। स्थाई, संविदा और ठेके पर तैनात कर्मचारी जरूरत पर उनसे ब्याज पर रुपये उधार लेकर फंस जाते हैं। लगभग एक दर्जन सूदखोर बने सफाईकर्मियों का रौब इतना था कि वे काम पर नहीं जाते थे, लेकिन वेतन पूरा लेते थे।
डीएम को नगरायुक्त का प्रभार मिलने पर सफाई कर्मचारियों के आइकार्ड बनाए गए। फोटो युक्त हाजिरी रजिस्टर बनवाए और जांच के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई। अब स्थिति यह है कि सूदखोर सफाईकर्मियों को भी झाड़ू थाम सफाई करनी पड़ रही है। 15 फीसद की रफ्तार से शुरू होता ब्याज का पहिया
सूदखोर बने सफाईकर्मियों के ब्याज का मीटर पूरी तेजी से दौड़ता है। 15 फीसद प्रतिमाह की दर से ब्याज वसूलते हैं। यह 20 फीसद तक पहुंच जाता है। समय से ब्याज न देने पर पेनाल्टी भी लगती है। एक बार जाल में फंसने वाला कभी नहीं निकल पाता। वसूली का है एक ठिकाना
ये सूदखोर पैसा लेने के लिए कहीं नहीं भटकते बल्कि एक ठिकाना बना रखा है। नगर निगम के सभी सफाई कर्मचारियों का बैंक खाता ¨छगामल बाग स्थित बैंक ऑफ इंडिया में है। इसी बैंक में उनका वेतन और मानदेय जाता है। सूदखोर इसी बैंक के बाहर बैठे रहते हैं। जैसे ही सफाईकर्मी रुपये निकालकर लाते हैं, सूदखोर इन्हें घेर लेते हैं। जो आराम से किस्त दे दे तो ठीक, नहीं तो जबरन पैसा छीन लिया जाता है।