इतिहास बनीं रेलवे की केबिन, मिटा नामोनिशान
डेढ़ दशक पहले बंद हो गया था उपयोग अब ध्वस्त हो रही इमारतें ट्रेन की दिशा तय करने वाली केबिन स्टेशन नजदीक होने की थी पहचान।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: पूर्वी केबिन फीरोजाबाद.। पीले रंग की इमारत पर काले रंग के पेंट से लिखे ये शब्द ट्रेन में बैठे यात्रियों को यह अहसास करा देते थे कि रेलवे स्टेशन आने वाला है। स्टेशन पर उतरने वाले यात्री अपना सामान उठाकर ट्रेन के गेट पर आ जाते थे। अब ये केबिन इतिहास बन गई हैं। रेलवे ने पूर्वी और पश्चिमी केबिन की अनुपयोगी इमारतों को ध्वस्त करा दिया है।
डेढ़ दशक पहले रेलवे स्टेशनों के दोनों छोर के निकट बनी इन केबिनों से ही ट्रेनों की दिशा तय होती थी। मैन लाइन पर आ रही ट्रेन को स्टेशन की लूप लाइन पर लेना हो या लूप लाइन की ट्रेन को मैन लाइन पर लेना हो स्टेशन मास्टर के निर्देश पर ये काम केबिन मैन करते थे, जिसे आम बोलचाल की भाषा में कैंची बदलना कहते थे। इसके लिए केबिन में लोहे के बड़े-बड़े लीवर बने होते थे। लाइन क्लीयर है, इसका संकेत भी केबिन मैन दिन में झंडी और रात में लाइट दिखाकर देते थे, लेकिन डेढ़ दशक पहले कंप्यूटराइजेशन से व्यवस्था बदल गई।
अब केंद्रीय प्रणाली का उपयोग कर स्टेशन मास्टर ही ये काम करते हैं। इसके बाद रेलवे से केबिन मैन की पोस्ट ही खत्म हो गई, लेकिन इमारतें अब भी खड़ी थीं, जो अपने होने का अहसास कराती थीं। बहुत से रेल यात्रियों के लिए ये अब भी स्टेशन नजदीक होने का चिह्न बनी हुई थीं, जिन्हें रेलवे ने अब ध्वस्त करा दिया है।
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जर्जर हो गई थीं इमारतें, बन गई थीं जुए का अड्डा
फीरोजाबाद रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ बनीं केबिनें उपयोग में न होने के कारण जर्जर हो गई थीं, जिससे हादसे की आशंका थी। एकांत में होने के कारण ये जुआरियों का अड्डा बन गई थीं। दैनिक जागरण ने जुलाई में इस मुद्दे पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। प्रयागराज रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी केशव त्रिपाठी ने बताया था कि रेलवे अनुपयोगी इमारतों के ध्वस्तीकरण का अभियान चला रही है। हालांकि ध्वस्तीकरण एक सप्ताह पहले शुरू हुआ।
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-1995 देश भर में छा गई थी पश्चिमी केबिन
20 अगस्त 1995 में हुए पुरुषोत्तम एवं कालिंदी एक्सप्रेस की जबरदस्त टक्कर में सैकड़ों यात्रियों की मौत हो गई थी। ये हादसा रेलवे के भीषण हादसों में शामिल है। प्रथम दृष्ट्या इस हादसे के लिए पश्चिमी केबिन पर तैनात कर्मचारी का को दोषी माना गया था। इस कारण फीरोजाबाद की ये केबिन सुर्खियों में आ गई थी। हालांकि बाद में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के चालक की लापरवाही भी सामने आई थी।