सरकारी पाठशाला को माना मंदिर, बदल डाली तस्वीर
- लगन मेहनत और दृढ़ संकल्प से शिक्षा का स्तर सुधारा - अभिभावकों की सोच बदलने से बढ़ी छात्र-छात्राओं की संख्या
संवाद सहयोगी, फीरोजाबाद: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही एक ऐसी इमारत का चित्र दिमाग में उभरता है, जिसकी दीवारें जर्जर और परिसर गंदगी से अटे होते हैं। अधिकांश की मान्यता है कि इन स्कूलों में पढ़ाई का स्तर भी अच्छा नहीं होता है, लेकिन जिले के कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने समाज के इस नजरिये को बदलने का प्रयास किया। दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति से उन्होंने न सिर्फ स्कूल की तस्वीर बदली बल्कि पढ़ाई की गुणवत्ता भी सुधारी।
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-प्रोजेक्टर और ई-स्लेट से पढ़ाते हैं अफजल -फोटो-11
राज्य पुरस्कार के लिए चयनित अफजल अहमद पांच साल पहले सिविल लाइन के प्रावि में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हुए थे। उन्होंने प्रोजेक्टर, ई-स्लेट के अलावा अन्य गतिविधियों के माध्यम से पढ़ाना शुरू किया तो छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ। पिछले साल गर्मियों की छुट्टी में 25 छात्रों को नियमित रूप से इंग्लिश स्पीकिग कोर्स कराया। योग और व्यायाम में भी छात्रों को निपुण किया। जिसके बलबूते पर बच्चों ने मंडल स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभा दिखाई। इस समय 257 बच्चे पंजीकृत हैं।
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-छात्राओं को आत्मरक्षा के हुनर सिखा रहीं कल्पना:--फोटो-12
नगर क्षेत्र में संचालित 37 स्कूलों में व्यवस्थाओं का अभाव है। शिक्षक कहते हैं कि किराए के भवन हैं हम क्या करें। इनके लिए उप्रावि कटरा पठानान की सहायक अध्यापिका कल्पना राजौरिया ने चुनौतियों को स्वीकारा और निष्ठा एवं लगन से स्कूल की तस्वीर बदल दी। स्कूल में जगह नहीं होने पर छात्राओं को आत्मरक्षा का हुनर सिखाने के लिए मुहल्ले के एक पार्क को चुना। जहां शाम को प्रशिक्षक आशीष से कराटे का प्रशिक्षण दिलाते हैं। सात साल पहले स्कूल में जहां 16 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। वहीं अब इनकी संख्या 60 हो गई है।
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-शाम को भी क्लास लगाते हैं शाहिद: -फोटो-13
अरांव ब्लॉक के कीठौत स्कूल के प्रधानाध्यापक मुहम्मद शाहिद का मकसद छात्र-छात्राओं को सफलता दिलाना है। कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में कैद थे, तब वह स्कूल के 60 बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे थे। 15 बच्चों का ऑनलाइन दाखिला भी लिया। स्कूल को शिक्षा का मंदिर समझा तो पढ़ाई के लिए नए प्रयोग किए। स्मार्ट क्लास शुरू कर प्रोजेक्टर से बच्चों को पढ़ाते हैं। छुट्टी के बाद शाम को बच्चों को नवोदय स्कूल की तैयारी कराते हैं। चार साल पूर्व स्कूल में 28 बच्चे थे अब 130 हैं।