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यूं ही मुस्कराई हवा तो झूमेगी जिदगी

यूं ही मुस्कराई हवा तो झूमेगी जिदगी

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 11:26 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 11:26 PM (IST)
यूं ही मुस्कराई हवा तो झूमेगी जिदगी

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: जंग कोरोना के खिलाफ चली तो सेहत पर्यावरण की सुधरी। कारखानों से निकलते केमिकल की रफ्तार शून्य हुई तो यमुना भी इतराने लगी। सड़क पर दौड़ते वाहनों से निकलते धुएं और हलवाई की भट्टियों से उठता धुआं थमा तो हवा भी मुस्कराने लगी। देश के टॉप टेन प्रदूषित शहरों सुहागनगरी के प्रदूषण का कलंक धुल गया। अब बाजार खुलने लगा है। कारखाने शुरू हो गए हैं, अगर हवा के सेहत की चिता की गई तो जिदगी भी मुस्कराएगी।

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ताज ट्रिपेजियम जोन बनने के बाद पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए पाबंदियों के दायरे में फीरोजाबाद भी था। कोयले की भट्टियों से चलने वाले कारखानों में प्राकृतिक गैस शुरू हो गई। इसके बाद भी प्रदूषण के आंकड़े बढ़ते रहे। कांच फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल का पानी नालों के जरिए यमुना में गिरकर नदी को प्रदूषित करता रहा। वहीं शहर में दौड़ने वाले डीजल के पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं सांसों को प्रदूषित करता रहा। हलवाई की भट्टियों में जलने वाले कोयले पर भी पूरी तरह रोक नहीं लगाई सकी। लॉकडाउन में 60 दिनों तक कारखाने बंद रहे तो वाहन भी नहीं चले। पिछले दिनों प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा कराई गई जांच में यमुना के पानी के मानकों में पीएच, बीओडी, सीओडी भी मानक के लगभग बराबर पाई गई और पानी आचमन योग्य भी पाया गया।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मनोज चौरसिया बताते है कि लॉकडाउन में वायु प्रदूषण में मॉनीटरिग में भारी गिरावट आई है और यमुना में भी प्रदूषण में भारी सुधार हुआ है। उद्योग से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण तो होगा, लेकिन इसके लिए उद्यमियों को सजगता दिखानी चाहिए। उपकरणों की सफाई और मेंटीनेंस हो तो प्रदूषण कम होगा। केमिकल की इकाइयों में आरसीसी का प्लेटफार्म बनाया जा रहा है। इससे केमिकल जमीन में नहीं जाएगा और समुचित निस्तारण हो सकेगा। सरकार के साथ-साथ हर नागिरक जिम्मेवारी निभाए। इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा। -वन विभाग ने की तीस लाख पेड़ लगाने की तैयारी

लॉकडाउन के दौरान वन विभाग ने पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए किए जाने वाले वृक्षारोपण की तैयारियां पूरी कर ली। जिले की 24 नर्सरियों में 44 लाख पौध तैयार की गई है। पिछले साल पौधारोपण का लक्ष्य से एक लाख अधिक 30.70 लाख पौध लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। जुलाई में प्रथम सप्ताह से पौधारोपण शुरू होगा।

यमुना के सेहत बनाए रखने को करना होंगे ये उपाय - कांच इकाइयों से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित पानी को आने से रोकना होगा।

- अवैध रूप से चल रही औद्योगिक गतिविधियों को प्रतिबंधित करना होगा।

- सोफीपुर में निर्माणाधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को जल्द चालू करना होगा

- यमुना तक पहुंचने वाले सीवेज को रोकने के लिए जल्द नाले टेप कराए जाएं।

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हवा के सेहत के लिए ये होगा जरुरी--

-वायु प्रदूषण रोकने के लिए भट्टियों में जलने वाले कोयले पर पूरी तरह पाबंदी रहे।

-15 साल पुराने डीजल वाहनों पर पूरी तरह रोक लगे, इन्हें सड़क से हटाया जाए।

-बड़े वाहनों के प्रदूषण की नियमित जांच हो और इन पर कार्रवाई की जाए।

-ज्यादा से ज्यादा हरियाली रहे और वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जाए।

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फोटो, 3, नियंत्रित रहा प्रदूषण तो घट जाएंगी आधी बीमारियां: डॉ शर्मा वरिष्ठ स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ आरबी शर्मा बताते हैं कि प्रदूषण घटने से ऑक्सीजन की मात्रा वातावरण में बढ़ी है। इससे लोगों को रक्त शुद्धिकरण हो रहा है और बीमारियां कम हो रही है। लॉकडाउन ने प्रदूषण कम होने की संभावनाएं साबित कर दी हैं। प्रदूषण से त्वचा की सबसे ज्यादा बीमारियां होती हैं। हवा में प्रदूषण से केमिकल एलीमेंट से त्वचा के दर्जनों रोग और सांस के रोग होते हैं। यदि हम प्रदूषण को नियंत्रित रखेंगे तो बीमारियों से बचेंगे। इलाज में होने वाले खर्च और सरकार के बजट को भी राहत मिलेगी। इसके लिए सबको जुटना होगा। यह सच है कि हवा सेहतमंद रही तो जिदगी मुस्कराएगी। ---

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पर्यावरण की प्रहरी एक्सपोर्टर ने लिया बीस हजार का संकल्प

पिछले दस साल में दो लाख पेड़ लगवा चुके पर्यावरण के प्रहरी बने ग्लास एक्सपोर्टर मुकेश बंसल टोनी कहते हैं कि अबकी बार पर्यावरण की सेहत सुधारने को लेकर नया लक्ष्य तैयार किया है। नए तरह के पौधे लगवाने के लिए बीस हजार का व्यक्तिगत लक्ष्य रखा है। टोनी बताते हैं कि अबकी बार नई प्रजाति के पेड़ लगवाने का संकल्प किया है। इसके लिए मिरहची कासगंज की नर्सरियों से पौध मंगाएंगे। इसमें मलेशिया सॉल, सहजन, शैमल, शीशम सागवान, देसी आम, इमली, समी बेल पत्री नीम के पेड़ शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि वृक्षारोपण के लिए यमुना के किनारे, मक्खनपुर और गढ़ी जाफर की साइट देखी है। बाइपास के पास फैक्ट्री परिसर में जगह देखी है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था पौधों की रखवाली की जिम्मेवारी ले तो हम उन्हें पौध उपलब्ध करवाने के लिए तैयार हैं। हमसे संपर्क किया जा सकता है। इस बार सुहागनगरी को पर्यावरण की सेहत सुधारने का मौका मिला है, जिसमें हर किसी को अपना योगदान करना चाहिए।

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मौका है गांव-गांव और शहर की गली-गली से उठे संकल्प पर्यावरण के लिए वर्ष 2004 से काम कर रही संस्था पर्यावरण मित्र के सीनियर कोर्डिनेटर दीपक अहोरी बताते हैं कि एक महामारी ने साबित किया है कि प्रदूषण पूरी तरह रुक सकता है। इसे हम कैसे कम कर सकते हैं यह भी समझ में आ चुका है। लॉकडाउन के काल में संस्था अपनी भूमिका अदा करती रही है। हम गांव-गांव के युवाओं से ऑन लाइन संपर्क में रहकर जल, भूमि और वायु प्रदूषण के लिए सजग करते रहे हैं। अब प्रदूषण को पुराने स्तर पर जाने से रोकने के लिए गांव-गांव और शहर के गली-गली से संकल्प आना चाहिए। संस्था नए लक्ष्य के साथ काम कर रही है।


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