कागजों में शौचालय, खेतों में जा रहे शौच
शासन स्तर पर अपनी पीठ थपथपाने के लिए अधिकारी कागजों पर शौचालय बन गए,लेकिन हकीकत अलग है। आज भी गांवों में लोग शौच को खेत में जा रहे हैं।
संवाद सहयोगी, टूंडला: शासन स्तर पर अपनी पीठ थपथपाने के लिए अधिकारी कागजों पर ही रिकार्ड तैयार करते हैं। इसका नमूना ग्राम पंचायत शेखूपुर मंडनपुर है। इस खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है। यह और बात है कि अभी तक एक भी शौचालय नहीं बना है। ग्रामीण अभी भी खुले में शौच करने जाते हैं।
शासन प्रशासन ने दो अक्टूबर तक गांवों को ओडीएफ करने का लक्ष्य रखा था। अधिकारियों ने निर्धारित तिथि पर ग्रामसभा शेखूपुर मंडनपुर को ओडीएफ घोषित कर दिया। यह और बात है कि गांव सिर्फ कागजों पर ही ओडीएफ हुआ वास्तविकता में वहां एक भी शौचालय नहीं बना। गांव में चार सौ से अधिक घर हैं। दो दर्जन में भी शौचालय नहीं है। जो हैं, वो ग्रामीणों ने खुद बनवाए हैं। पहले नहीं मिला बजट, फिर सचिव हटा दिए
गांव में शौचालय बनवाने के लिए करीब छह माह पूर्व प्रशासन की टीम ने सर्वे कर पात्रों का चयन किया, फिर कोई नहीं आया। पंचायत के खाते में पैसा नहीं था। सितंबर के अंतिम पखवाड़े में धनराशि भेजी गई। काम शुरू होने से पहले ही पंचायत सचिव को हटा दिया।
प्रशासन ने शौचालय बनाने को पैसा ही नहीं दिया। जब पैसा आया था तब सचिव नहीं थे। अब नई तैनाती हुई है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा।
राजकुमारी, प्रधान
शेखूपुर मंडनपुर में पूर्व में तैनात रहे सचिव अशोक सिम्मौरिया बीडीओ को गुमराह करते रहे। उन्हें मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है। प्रतिकूल प्रविष्टि भी दी जा रही है। अब दूसरे सचिव को भेजा है। 10 दिन में सभी शौचालय बन जाएंगे।
नेहा जैन, सीडीओ