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टूंडला में पहुंच गई मदद, शहर में तकते रहे राह

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By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 11:16 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 11:16 PM (IST)
टूंडला में पहुंच गई मदद, शहर में तकते रहे राह
टूंडला में पहुंच गई मदद, शहर में तकते रहे राह

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: दो माह से अधिक समय से लागू लॉकडाउन को अनलॉक करने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। सोमवार से बाजारों के खुलने का सिलसिला भी शुरू हो गया। टूंडला में बेबसी की जिंदगी बसर करने को मजबूर परिवारों के घरों में प्रशासन ने पहुंचकर मदद की। एसडीएम टूंडला एकता सिंह ने कहा कि जागरण में हमने खबर देखी और परिवारों की मदद की। प्रशासन सभी को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा रहा है। किसी को भी भूखा नहीं रहने दिया जाएगा। यदि क्षेत्र में ऐसा कोई परिवार है तो उन्हें सूचना दे सकते हैं। वहीं शहर के लोहा पीटकर बेबसी की जिंदगी गुजार रहे परिवार मदद का इंतजार करते रहे। एक के घर पॉलीथिन में कोई चावल तो दे गया। झोपड़ी में बजते कनस्तर को पौंछकर रोटी बनाई और आधा पेट का इंतजाम ही हो पाया। वहीं दूसरे परिवार के यहा काम पहुंचा तो एक किलो आटे का इंतजाम हुआ। नारखी में दिल्ली से आए मजदूर परिवार के हालत भी जस के तस रहे। जागरण टीम ने बेबस परिवारों के घर का दूसरा दिन भी देखा। पेश है रिपोर्ट। ..36

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एक-पिंकी के घर पहुंच गया 15 दिन का राशन टूंडला तहसील के लाइनपार क्षेत्र के नगला रामकिशन निवासी पिंकी सोमवार को घर पर बैठी थीं। पति लुईस के मजदूरी छिनने के बाद रोज इसी तरह खाने के सामान का इंतजार होता था। अचानक सरकारी गाड़ी रुकी तो चहलपहल बढ़ गई। इसके बाद एसडीएम एकता सिंह, तहसीलदार गजेंद्र सिंह ने उन्हें बुलवाया और पंद्रह दिनों का राशन दिया। अधिकारियों के साथ समाजसेवी संगठनों के लोग भी थे। आटा-चावल, दाल, तेल और सभी तरह के मसाले दिए तो पिंकी के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। पिंकी ने कहा ये राशन खत्म होने तक काम भी मिलने लगेगा।

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दो- खुश हो गई उíमला, बोली भगवान भला करे

-मोहम्मदाबाद में दोपहर एक बजे दिव्याग उíमला को समझ नहीं आ रहा था कि उसके घर आज का खाना कैसे पकेगा। पति की मौत के बाद बेटे की मजदूरी से घर चलता था। एसडीएम और तहसीलदार को सामने देख उसकी आखों में आसू आ गए। बोली पति की मौत के बाद बच्चे शादियों में ढोल बजाते थे, लेकिन अब सब भीख माग रहे थे। परिवार को पंद्रह दिनों का राशन देकर भरोसा दिलाया गया। मा शारदे सेवा समिति के दीपक चौधरी, मनोज धाकरे, राजेन्द्र बिहारी गुप्ता ने भी मदद दी। -38

तीन- आधा किलो पके चावल से कैसे काम चलेगा

सुहागनगर में सड़क किनारे रहने वाले एक लोहापीटा परिवार के मुखिया चरन सिंह ने बताया कि सुबह लगभग दस बजे बाइक पर दो लोग आए थे। इन दोनों ने पॉलीथिन में लगभग आधा किलो पका हुआ चावल दिया। इसके साथ खाने के लिए कुछ नहीं था। जबकि उनके परिवार में छोटे-बड़े आठ सदस्य हैं। बच्चों को सिर्फ सूखा चावल खाने को मिला। घर में थोड़ा आटा है, इसे पकाकर किसी तरह बड़े लोग खा लेंगे। चरन सिंह ने बताया कि बाजार तो खुलने की खबर है, लेकिन हमारी किस्मत पर ताला पड़ा है। प्रशासन की कोई मदद नहीं मिली। -39

चार- तीस रुपये का आया काम, नहीं मना त्यौहार

बजरंग नगर निवासी लोहापीटा परिवार की सदस्य गीता देवी ने बताया कि परिवार की मदद के लिए सोमवार को उनके घर कोई समाजसेवी या अधिकारी नहीं पहुंचा। एक व्यक्ति लोहे का काम कराने आया था, इससे 20-30 रुपये की कमाई हुई, लेकिन इस आमदनी से परिवार के नौ लोगों का भला होने वाला नहीं है। लॉकडाउन में कमाई नहीं होने के कारण परिवार के लोग गंगा दशहरा का पर्व नहीं मना सके। लॉकडाउन रहने तक परिवार का भला होने वाला नहीं है। लॉकडाउन खुले तो काम चले। काम आने लगेगा तो परिवार फिर चलेगा।

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पाच- बेटे और बहू चले गए दिल्ली..

नारखी के फतेहपुरा निवासी 65 वर्षीय सौदान सिंह के घर पर सुबह भी चावल पक रहे थे। आटा खत्म हो चुका था। दिल्ली से लौटे दो बेटे और बहू नहीं दिखे तो बताया कि यहा तो रोजी रोटी का संकट था। सुना था कि दिल्ली में रोजगार मिलने लगा है, इसलिए दो बेटे अपने परिवार को लेकर बस से चले गए। सौदान सिंह ने बताया कि झोपड़ी में चार बेटों के साथ रहना मुश्किल है हम तो किसी तरह गुजारा कर लेंगे। एक दो दिन में ये भी चले जाएंगे। यहा कोई मदद करने नहीं आया। राशन से मिला आटा खत्म हो गया है थोड़े से चावल रखे हैं।


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