शासन ने बांटे जूते-मोजे, बच्चों की नहीं छूट रही चप्पल
शासन ने प्राथमिक स्कूल के बच्चों को जूते व मोजे बंटवाए हैं,लेकिन अधिकांश बच्चे चप्पल पहनकर स्कूल आ रहे हैं। इस तरह का हाल देवनगर समेत अनेक स्कूलों में दिखा। कई के जूते फट गए तो कई के घर पर रखे हैं, लेकिन वे इन्हें पहनकर नहीं आते।
जासं, फीरोजाबाद: प्राथमिक स्कूल देवनगर में कक्षा दो का छात्र कृष्णा मंगलवार को चप्पल पहन कर स्कूल में आया। यही हाल उसके साथी अंशू का था। वहीं देवनगर बालिका स्कूल में कक्षा तीन की छात्रा के पैर में भी जूते नहीं थे। उसने कहा कि जूते-मोजे फट गए हैं। स्कूल में करीब 40 फीसद बच्चे चप्पल पहने नजर आए।
देहात क्षेत्र के स्कूलों में ऐसे ही मिलते-जुलते हालात हैं। नारखी में कई स्कूलों में बच्चों के जूते फट गए हैं तो एका क्षेत्र के स्कूलों में भी बच्चे जूते पहनकर नहीं आ रहे हैं। शासन परिषदीय स्कूलों के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर स्मार्ट देखना चाहता है। इसके लिए यूनिफॉर्म में बदलाव किया है तो बच्चों को जूते एवं मोजे भी मुफ्त बांटे हैं, लेकिन शिक्षक इन बच्चों को जूते-मोजे पहनना नहीं सिखा पा रहे हैं। किसी भी स्कूल में बच्चों को जूते-मोजे पहनने के लिए प्रेरित नहीं किया जा रहा। इसी का नतीजा है कि बड़ी संख्या में छात्र नंगे पैर या चप्पल पहनकर ही आ रहे हैं।
एडी बेसिक ने भी जताई नाराजगी : मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक आगरा अवध किशोर ¨सह ने भी बच्चों के स्कूल में जूते-मोजे पहनकर न आने पर नाराजगी जताई है। 12 अक्टूबर को उन्होंने इस संबंध में पत्र जारी करते हुए कहा है कि जूते-मोजे का वितरण किया जा चुका है तो फिर 50 फीसद बच्चे चप्पल पहन कर स्कूल क्यों आ रहे हैं। मंडल भर के बीएसए को आदेश दिए हैं कि वह अपने जिले में प्रधानाध्यापकों को आदेशित करें कि वह बच्चों का जूते-मोजे पहनकर आना सुनिश्चित करें।