ईंट, चंबल, बालू का टोटा, निर्माण कार्य प्रभावित
फीरोजाबाद जागरण संवाददाता। पीएम आवास योजना में मिले पैसों से आवास बनवा रहे सैलई के इंतजार अली परेशान हैं। उन्हें चंबल और बालू नहीं मिल रही है। राजमिस्त्री और मजदूरों को रोज लौटाना पड़ता है। सीमेंट के भाव पहले ही चढ़े हुए थे। अब अन्य सामग्री भी महंगी होती जा रही है। इससे उनका बजट गड़बड़ा गया है।
फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। पीएम आवास योजना में मिले पैसों से आवास बनवा रहे सैलई के इंतजार अली परेशान हैं। उन्हें चंबल और बालू नहीं मिल रही है। राजमिस्त्री और मजदूरों को रोज लौटाना पड़ता है। सीमेंट के भाव पहले ही चढ़े हुए थे। अब अन्य सामग्री भी महंगी होती जा रही है। इससे उनका बजट गड़बड़ा गया है।
ये केवल अकेले एक इंतजार अली की समस्या नहीं है, बल्कि उन हजारों लाभार्थियों की है जो इन दिनों प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना से अपना घर बनवा रहे हैं। सरकार से तीन किश्तों में ढाई लाख रुपये मिलने हैं। जनवरी, फरवरी में पहली किश्त मिलने पर निर्माण की शुरूआत कराई थी तो सीमेंट 295 से 310 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से बिक रहा था। अब इसकी कीमत 360 से 380 रुपये तक पहुंच गई है। अच्छी किस्म की अव्वल ईंट ढूंढने से भी नहीं मिल रही। अधिकांश भट्ठों का स्टॉक खत्म हो गया है। दूसरे दर्जे की ईंट की कीमत 5100 से छह हजार रुपये प्रति हजार ईंट पहुंच गई है। ऐसे में पीएम आवास के लाभार्थी ही नहीं अपने भवन बनवा रहे सभी भूस्वामियों का बजट भी गड़बड़ा गया है। इसलिए बढ़ी समस्या:
रॉयल्टी समय से जमा न होने के कारण शासन स्तर पर चंबलसेंट के खनन पर रोक लगा दी गई है। अब केवल वही ठेकेदार खनन कर पा रहे है, जिनकी रॉयल्टी जमा है। इस कारण बाजार में चंबल की कमी हो गई है। यही हाल यमुना की बालू का है। जिले में भी कुछ ठेकेदारों को खनन से रोका गया है। इस बीच ये भी चर्चा जोरों से चल रही है कि 20 जून से खनन पूरी तरह बंद हो जाएगा। इधर ईंट के भट्ठों पर गर्मी के कारण श्रमिक काम पर नहीं आ रहे। इस कारण कई भट्ठे बंद पड़े हैं। भट्ठा संचालक प्रेमपाल यादव ने बताया कि ईंट की जितनी डिमांड है उतना उत्पादन नहीं हो पा रहा है। वेस्ट ग्लास में बिल्िडग मैटेरियल का काम करने वाले सलीम खान ने बताया कि रॉयल्टी बढ़ने से चंबल और बालू महंगी हो गई है। बरसात शुरू होने पर यमुना की बालू आना भी बंद हो जाएगी।