रमजान का इनाम है ईद
रमजान का इनाम है ईद रमजान का इनाम है ईद
रमजान उल मुबारक का महीना बहुत बरकत वाला होता है। जिस तरह बारिश का पानी सारी गन्दगी को धो देता है वैसे ही रमजान में अल्लाह पाक की रहमत अपने गुनाहगार बन्दों के गुनाह धो देती है। इस महीने में गरीब हो या अमीर सभी रोजा रखते हैं। वे भूखे प्यासे रह कर अल्लाह को राजी करने की कोशिश करते हैं। सुबह सूरज निकलने से काफी पहले जागकर सहरी करते हैं। गर्मी के इस मौसम में पूरे दिन पानी की एक बूंद तक शरीर में नहीं जाने देते। हर बुरे काम से बचते हैं। ईद अल्लाह की तरफ से इसी का इनाम है। ये खुशी मनाने का दिन होता है। ईद की नमाज से पहले जकात और फितरा जरूर निकालें। ये आपकी कमाई में गरीबों का हक है। दूसरी बात ये कि मालदारों के जकात और फितरा निकालने से ही गरीब, असहाय और परेशान हाल लोगों की ईद मनती है। अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों की मदद करें। चाहे वह किसी भी मजहब का हो।ईद की नमाज में अपने साथ ही अपने शहर और मुल्क में अमन चैन और तरक्की की दुआ मांगें। इस बार परिस्थितियां अलग हैं। लॉकडाउन के कारण बाजार और मस्जिदें बंद हैं। इसलिए प्रशासन के निर्देशों पालन करते हुए बहुत ही सादगी से ईद मनाएं।
मोहम्मद अरशद खान रजवी
फीरोजाबाद