अस्पताल में 24 घंटे पैथोलॉजी एवं एक्स-रे
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : अगर प्रयास सफल हुए तो फीरोजाबाद जिला अस्पताल में चौबीसों घंटे
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : अगर प्रयास सफल हुए तो फीरोजाबाद जिला अस्पताल में चौबीसों घंटे पैथोलॉजी एवं एक्स-रे की सुविधा मरीजों को मिलेगी। शासन के प्रयासों से अस्पताल नेशनल एक्रेडियेशन बोर्ड फोर हॉस्पिटल (एनएबीएच) की दौड़ में है। अगर अस्पताल मानकों पर खरा उतरता है तो सूबे में यह तमगा पाने वाला चौथा अस्पताल होगा। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश हैल्थ सिस्टम स्ट्रें¨थग प्रोजेक्ट (यूपीएचएसएसपी) लखनऊ की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को परखा। वहीं सीएमएस से वार्ता कर जरूरी सुधार के निर्देश भी दिए।
शासन द्वारा सरकारी अस्पतालों को प्राइवेट हॉस्पिटल से बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सूबे के 51 अस्पताल यूपीएचएसएसपी से जोड़े गए हैं। इन्हें अब एनएबीएच का दर्जा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अब तक यह दर्जा प्रदेश के इटावा सहित तीन अस्पतालों को मिला है। शुक्रवार को यूपीएचएसएसपी के पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप हैड वीरेंद्र कुमार के साथ में आइटी मैनेजर मनीष मिश्रा यहां आए। उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद में यहां की व्यवस्थाओं को देखा। अस्पताल के बाहर मैदान एवं अन्य क्षेत्र को देखने के बाद में सीएमएस डॉ.आरके पांडे को वृक्षारोपण के संबंध में निर्देश दिए। वहीं अस्पताल की सफाई के साथ में अन्य व्यवस्थाओं को देखने के बाद सीएमएस से मंत्रणा कर विभिन्न ¨बदुओं पर वार्ता की।
-सुंदरीकरण के साथ आएंगी आधुनिक मशीनें :
अस्पताल को एनएबीएच का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। ट्रॉमा सेंटर में अल्ट्रासाउंड शुरू हो गए हैं। वहीं नई मशीनें भी आ रही हैं। पुराने सामान को हटाया जा रहा है। अस्पताल में मरीजों को हर जरूरी सुविधा मुहैया कराने पर जोर है।
डॉक्टर्स के पास बैठे बाहरी लोगों से कैसे मिलेगी निजात :
अस्पताल में डॉक्टर्स के पास में हर वक्त बाहरी लोग बैठे रहते हैं। इनके द्वारा मरीजों को बाहर की दवाएं डॉक्टर्स की सहमति से लिखी जाती हैं। डॉक्टर्स इनकी मदद इसलिए लेते हैं, ताकि किसी अधिकारी के छापे के दौरान राइ¨टग की आड़ में उनके बचाव की पटकथा लिखी जा सके। एक बार डीएम भी एक चिकित्सक को बाहर की दवाएं लिखते हुए पकड़ चुकी हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी न ही बाहरी लोगों से निजात मिल सकी। यह लोग अभी भी अस्पताल में हावी हैं। अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने पर तो जोर दिया जा रहा है, लेकिन इन लोगों पर अभी तक अंकुश नहीं लग सका है। अस्पताल की एक ¨वग में तैनात चिकित्सक को तो वक्त-बेवक्त लाने व ले जाने के लिए दवा कारोबार से जुड़े बाहरी चेहरे नजर आते हैं।
--यह होंगे बदलाव--
* अस्पताल में पौधरोपण किया जाएगा। मरीजों के लिए हितकारी पौधे लगाए जाएंगे।
* विभिन्न सुविधाएं जो अभी ओपीडी में मिलती हैं, वे 24 घंटे मुहैया होंगी।
* अस्पताल की साफ-सफाई प्राइवेट अस्पतालों की तर्ज पर कराई जाएगी।
* अस्पताल में सभी आधुनिक मशीनों के साथ में स्टाफ की कमी दूर की जाएगी।
* विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती भी की जाएगी।