सुहागनगरी में खनकने लगीं चूड़ियां, अनलॉक में गोदाम गुलजार
सुहागनगरी में खनकने लगीं चूड़ियां अनलॉक में गोदाम गुलजार
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: सुहागनगरी की पहचान चूड़ी के गोदाम शुक्रवार से गुलजार हो गए। लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर खनक सुनाई देने लगी। रंग बिरंगी चूड़ियों पर कारीगरों ने अपना हुनर दिखाया। इसके साथ ही हजारों मजदूरों की गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर लौट लाई। गोदामों पर तैयार हो रहे माल को देश भर के शहरों में भेजने की तैयारी भी शुरू हो गई है। कारोबारी सावन के सीजन को भुनाने की तैयारियां करने लगे हैं। हालांकि चूड़ी के कारखानों में अब भी सन्नाटा पसरा हुआ है।
देश भर में महिलाओं के हाथों में खनकने वाली कांच की चूड़ियों के चलते फीरोजाबाद को सुहागनगरी का नाम मिला है। चूड़ी बनने से लेकर बाजार में बिकने तक के कई चरण हैं। चूड़ी बनती तो कारखाने में है, लेकिन इसके सजाने संवारने और पैकिग का काम गोदामों में होता है। यहीं इनको ब्रांड नेम भी दिया जाता है। शहर में छोटे-बड़े मिलाकर दस हजार के लगभग चूड़ी गोदाम चलते हैं, जिसमें रोज एक लाख से ज्यादा कारीगर काम करते हैं। 24 मई को अचानक हुए लॉकडाउन में गोदाम बंद हो गए थे और करोड़ों का माल बंद हो गया था। लॉकडाउन-4 में जहां कांच कारखानों के लिए उद्योग विभाग ने संचालन की अनुमति दी थी, वहीं शारीरिक दूरी के नियमों के फेर में चूड़ी उद्योग फंसा था। कारखाने शुरू न होने की स्थिति बनती देख चूड़ी गोदाम संचालकों ने प्रशासन से अपनी अलग से पैरवी की। इसके बाद गुरुवार को उन्हें सभी नियमों का पालन करते हुए सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक काम करवाने की अनुमति दे दी गई। शुक्रवार की सुबह से चूड़ी गोदामों पर कारीगर पहुंचे। हैंडवॉश और शारीरिक दूरी के साथ-साथ मॉस्क की अनिवार्यता का पाठ पढ़ाकर उनसे काम शुरू करवा दिया गया। ----2
-सिर्फ पुराना स्टॉक तैयार करने की अनुमति
प्रशासन ने गोदाम पर सिर्फ पुराने स्टॉक को तैयार करवाने की अनुमति दी है। चूड़ी स्टॉक से इनके यहां तक हाथ ठेलों से पहुंचाई जाने वाली चूड़ियों पर फिलहाल रोक लगी है। गोदाम संचालकों का कहना है कि लगभग एक से दो सप्ताह तक का स्टॉक गोदामों पर है। उसके बाद नए माल की जरुरत होगी। इसके लिए प्रशासन को स्टॉक चलाने वालों को अनुमति देना होगी।
-18- मार्च से गोदाम बंद हो गया था। लॉक डाउन के कारण कहीं दूसरी जगह पर काम भी नहीं मिला। जो जमापूंजी थी वह 73 दिनों में खर्च हो गई। अब आर्थिक तंगी का सामाना करना पड़ रहा है। गोदाम खुलने से अब राहत मिल गई है।
शिवम, कैलाश नगर
फोटो-19 चूड़ी छटाई कर प्रत्येक दिन तीन सौ से चार सौ रुपये कमा लेता था। घर खर्च के बाद कुछ रूपए बचा भी लेता था। लॉक डाउन में बच्चे बीमार हुए तो जमापूंजी भी खर्च हो गई। खाने के लाले भी पड़ने लगे। अब गोदाम खुले हैं तो आमदनी भी शुरू हो गई।
राहुल, कारीगर नगर फोटो-20--
-चूड़ी गोदाम पर मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करता हूं। लॉक डाउन में आर्थिक तंगी बढ़ने लगी। मददगारों ने भी मदद की, लेकिन वह भी आखिर कब तक करते। अल्लाह से हर रोज गोदाम खुलवाने की इबादत करता, जो अब जागे पूरी हुई है।
नदीम, करबला फोटो-21 -लॉकडाउन में परिवार का पालन पोषण करना कठिन हो गया था। घर की आवश्यकताएं पूरी करने पर जमापूंजी भी समाप्त हो गई। अब गोदाम खुल गए हैं तो सभी लोग खुश हैं। अब कमाई में से खर्च कम और जमा अधिक किया करेंगे।
शमीम, कारीगर -श्रमिकों को समझाए सुरक्षा के उपाय
फीरोजाबाद: गोदाम संचालक आलिद अग्रवाल और पार्षद हरिओम वर्मा ने हनुमान रोड स्थित चूड़ी गोदामों में पहुंचकर श्रमिकों को सुरक्षा के उपाय बताए। इस दौरान उन्होंने कहा कि अपने जीवन की रक्षा करने के लिए शारीरिक दूरी का पालन करते हुए अन्य नियमों का पालन अवश्य करें। ताकि स्वयं भी इस बीमारी से बच सकें और दूसरों का भी बचाव हो सके।
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एक नजर--
120: से अधिक हैं चूड़ी के कारखाने
500: करोड़ का चूड़ी का सालान कारोबार
10,000: शहर में छोटे-बड़े चूड़ी गोदाम
एक लाख: से ज्यादा कारीगर और मजदूर करते हैं काम