चपरासी फर्जी तरीके से बन गया था आंकिक
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: साधन सहकारी समितियों में बड़े-बड़े खेल हो रहे हैं। कोई चपरासी से आंकिक बनन
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: साधन सहकारी समितियों में बड़े-बड़े खेल हो रहे हैं। कोई चपरासी से आंकिक बनने तक का सफर फर्जी प्रस्तावों से पूरा कर रहा है तो किसी ने शैक्षणिक प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाई है। इसके बाद समिति के कामकाज में भी गड़बड़ियां की जा रही है। शनिवार को ऐसी ही एक समिति को सील करने गए अधिकारियों पर दवाब बनाने के लिए सचिव ने काफी हंगामा कराया। बाद में पुलिस की मौजूदगी में समिति सील हो सकी।
मामला टूंडला तहसील क्षेत्र के गांव नगला सूरज की साधन सहकारी समिति का है। सहकारिता विभाग की एक टीम शनिवार की दोपहर समिति सील करने गई थी। इसका समिति सचिव और कर्मचारी ने विरोध शुरू कर दिया। अपने समर्थन में कुछ अन्य लोग भी बुला लिए। टीम ने सहायक निबंधक सहकारिता अमित कुमार त्यागी को मामले की जानकारी दी तो उन्होंने थानाध्यक्ष पचोखरा से बात की। कुछ देर बाद वहां दो पुलिसकर्मी पहुंच गए, लेकिन वे विरोध और हंगामा शांत नहीं करवा पाए। टीम समिति के बाहर खड़ी रही।
एआर को यह जानकारी मिली तो उन्होंने फिर थानाध्यक्ष से संपर्क किया। इसके बाद वहां थाने से फोर्स भेजा गया तब जाकर टीम समिति को सील कर पाई। टीम ने सभी तरह के अभिलेख और स्टॉक सील कर दिया। इस समिति के संबंध में एआर को शिकायत मिली थी कि समिति पर चपरासी से आंकिक और आंकिक से सचिव बने शांति स्वरूप ने फर्जीवाड़ा किया है। इसकी जांच अपर जिला सहकारी अधिकारी अवध नरेश को सौंपी गई। जांच में पाया गया कि तीन चार वर्ष पूर्व चपरासी से आंकिक बनने के लिए जो प्रस्ताव बनाया गया उसमें शांति स्वरूप ने खुद को इंटर पास बताया था।
जबकि उसने इंटर की परीक्षा 2016 में पास की है। इसके कुछ दिन बाद उसके पास सचिव का चार्ज भी आ गया। खास बात यह रही कि इंटर की पढ़ाई करने और परीक्षा देने के लिए भी सचिव ने कोई छुट्टी नहीं ली और पूरा वेतन लिया। एआर ने बताया कि जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में समिति के कार्यों में वित्तीय अनियमितता के साथ ही गबन की संभावना भी जताई। इसके बाद उन्होंने समिति सील करने के आदेश दिए थे।
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अन्य समितियों भी निशाने पर
एआर ने बताया कि टूंडला की कुछ अन्य समितियों पर भी इसी तरह के मामले में पकड़ में आए हैं। वहां भी जल्द कार्रवाई की जाएगी। नगला सूरज वाले मामले में सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही वेतन की वसूली भी की जाएगी।