पेंशन का था इंतजार, मौत ने खटखटा दिया दरवाजा
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: सालों तक विभाग की सेवा की, जब पेंशन पाने का नंबर आया तो बाबुओं की मनमानी में फंस गए। कैंसर के मर्ज ने जमा-पूंजी भी खर्च करा दी। इधर बाबू आगरा से आपत्ति के संग में आई फाइल को दबाकर बैठ गए। नतीजा यह रहा पेंशन मिलने से पहले एक शिक्षक ने दम तोड़ दिया। शिक्षक की मौत के बाद जब शिक्षक नेताओं ने दफ्तर पहुंच खरी-खोटी सुनाई तो आनन-फानन फाइल को निकलवा कर आपत्ति का निस्तारण कराया।
वित्त एवं लेखाधिकारी दफ्तर बेसिक शिक्षा का हाल बेहाल है। फाइलों को जब तक बाबू दराज से बाहर नहीं निकालते हैं, जब तक हंगामा न हो या बाबुओं की इच्छा की पूर्ति न हो। मामला रागी इंटर कॉलेज चनौरा के सेवानिवृत्त शिक्षक राधेश्याम शर्मा से जुड़ा है। राधेश्याम 30 जून 2013 को सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद में वह अपनी पेंशन एवं फंड के लिए वित्त एवं लेखाधिकारी दफ्तर के ही चक्कर काटते रहे, लेकिन अफसर एवं कर्मचारी दौड़ाते रहे। शिक्षक को कैंसर का मर्ज था, ऐसे में इलाज में शिक्षक की जमा-पूंजी भी खर्च हो गई। इधर शिक्षक की पेंशन की फाइल आगरा से आपत्ति लगने के बाद में आई तो दफ्तर के एक बाबू ने फाइल को अपने पास रख लिया एवं आपत्ति का निराकरण कराने की जरूरत नहीं समझी।
मंगलवार सुबह सात बजे शिक्षक की मौत हो गई। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा एवं अन्य शिक्षक नेता पहुंचे तो उन्हें अभी तक पेंशन स्वीकृत न होने की जानकारी मिली।
शिक्षक साथी की मौत एवं पेंशन स्वीकृत न होने पर गुस्साए शिक्षक वित्त एवं लेखाधिकारी दफ्तर में पहुंच गए। यहां पर उन्होने जब अफसरों सहित बाबूओं को खरी-खोटी सुनाई तो कुछ ही देर में फाइल निकल आई। जिस फाइल पर आपत्ति का अब तक निस्तारण नहीं हो सका था, उसका चंद मिनटों में निस्तारण हो गया।
भविष्य में न हो ऐसी पुनरावृत्ति
शिक्षक नेता रमेश चंद्र शर्मा, राजबहादुर सिंह यादव, रामविनोद शर्मा, आत्मप्रकाश उपाध्याय, सतीश चंद्र शास्त्री, श्रीकिशन शर्मा, भूरी सिंह वर्मा, रवींद्र गर्ग, सुशील चंद्र शर्मा, राधाशरण उपाध्याय, रामवीर शर्मा, सत्यप्रकाश शर्मा ने एओ दफ्तर की कार्यप्रणाली पर रोष व्यक्त करते हुए कहा है पेंशन एवं फंड की स्वीकृति में जो भी देरी के लिए दोषी हो, उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो।
अफसर कहिन
''पेंशन आगरा से स्वीकृत होती है, आगरा से फाइल पर आपत्ति लगी थी एवं संबंधित बाबू ने फाइल को हमारे सामने नहंीं रखा। मंगलवार को जब शिक्षक आए तो हमने संबंधित लिपिक को तलब किया। उससे पूछा तो पत्रावली ढुंढवाई गई। आपत्ति का निस्तारण कर दिया है, बाबू को नोटिस भेजकर उससे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है।''
-देव आनंद
वित्त एवं लेखाधिकारी
आखिर कौैन है जिम्मेदार
ऐसा पहली बार नहीं। कई बार शिक्षक पेंशन के लिए इंतजार ही करते रहते हैं तथा विभाग आपत्तियों के नाम पर लटकाए रहता है। सवाल यह है आपत्ति निस्तारण का कार्य किसका है। जब विभाग पेंशन पत्रावलियां तैयार कराता है तो फिर यह अधूरी आगरा क्यों भेजी जाती हैं। इस पूरे मामले की जांच की जरूरत है, ताकि शिक्षकों को होने वाली परेशानियों से बचाया जा सके।