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गोशालाओं में भरा पानी, पशुओं में थनैला-ब्लैक क्वार्टर का खतरा

जागरण संवाददाता फतेहपुर तीन दिन से लगातार हो रही बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 06:03 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 06:03 PM (IST)
गोशालाओं में भरा पानी, पशुओं में थनैला-ब्लैक क्वार्टर का खतरा
गोशालाओं में भरा पानी, पशुओं में थनैला-ब्लैक क्वार्टर का खतरा

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : तीन दिन से लगातार हो रही बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है तो वहीं पशु भी बेहाल दिख रहे हैं। संचालित 38 में 20 गोशालाएं ऐसी हैं जहां गोशाला परिसर में एक से डेढ़ फीट पानी भर गया है। पशु शेड कम होने की वजह से गोवंश खुले में ही बांधे जा रहे हैं। इसके कारण इनमें थनैला और ब्लैक क्वार्टर नाम कीबीमारी का खतरा बढ़ गया है। पशुधन विभाग ने हर हाल में गोशालाओं से पानी निकालने की सलाह दी है।

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जिले में संचालित हो रहीं गोशालाओं का क्षेत्रफल पांच से 40 बीघे तक का है। गोशालाओं में दो से तीन पशु शेड बने हैं, जबकि पशुओं की संख्या ज्यादा है। नतीजा अधिकांश पशु पेड़ के नीचे या खुले आसमान के नीचे रहते हें। बीते तीन दिन से बारिश हो रही है, जिसके कारण इन गोशालाओं के परिसर से लेकर टीनशेड तक पानी भरा है। क्योंकि, गोशालाओं की दीवार मनरेगा से कच्ची मिट्टी से बनाई गईं है। ऐसे में नाली बनाकर पानी बाहर निकाला जा सकता है। अंधेर यह है कि यहां लगे कर्मचारी गोशालाओं से पानी निकालने के लिए उचित प्रबंध भी नहीं कर रहे हैं। इससे पशुओं की हालत बिगड़ी रही है। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो इन पशुओं में थनैला व ब्लैक क्वार्टर की बीमारी का खतरा भी आ गया है। जल भराव के कारण रारा, सलेमाबाद, शाह, अस्वाबक्सपुर, रोशनपुर टेकारी, शाह, थरियांव गोशाला का बुरा हाल है। थनैला रोग होने के कारण

थनैला रोग पशुओं में बरसात के समय आता है, यह रोग तब ज्यादा फैलता है। जब पशु जलभराव के कारण दलदली जगह हो जाती है। पशु दलदली मिट्टी में बैठता है तो उसके थन कटने लगते हैं, जो थनैला रोग की शुरूआत का कारण बन जाते हैं। इस समय अनेक गोशालाओं में पानी भरा है तो खतरा और बढ़ गया है। इस तरह होता है ब्लैक क्वार्टर रोग

बरसात के मौसम में जब पशु 48 घंटे से ज्यादा पानी में रहता है तो उसके खुर मुलायम हो जाते हैं, इससे खुर कटने लगते हैं और पशु लंगड़ाकर चलते लगता है। कई बार पशुओं के पैर में इसकी चपेट में आने से सूजन आ जाती है। फिर पूरा शरीर चपेट में आता है। चपेट में आने से पशु में 104 से 106 डिग्री तक बुखार भी रहता है। स्थिति पर एक नजर

जिले में कुल गोशाला- 38

कुल संरक्षित गोवंश---6763 डिप्टी सीवीओ डा. एसके तिवारी ने बताया कि गोशालाओं से जल जमाव हटे इसके लिए डीएम ने सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसमें कहा, क्षेत्र की गोशालाओं से पानी निकलवाएं। इसके लिए बंधी काटी जाएं जहां भी ज्यादा पानी हैं वहां पंपिंग सेट लगाकर पानी निकाला जाए। यह काम जारी है।


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