इलाज का संकट, अस्पताल में 93 मरीजों की अटकी सांसें
जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना काल में उपचार का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। निजी न
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: कोरोना काल में उपचार का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। निजी नर्सिंग होम व क्लीनिकों में मरीज दूर से देखे जा रहे हैं तो सीएचसी-पीएचसी में मरीज भर्ती नहीं हो रहे। ऐसे में हर बीमार की उम्मीद सिर्फ जिला अस्पताल पर ही टिक जाती है। जबकि जिला अस्पताल में ओपीडी बंद होने से मरीज इधर-उधर भटकते हैं। यहां सिर्फ मरीजों को भर्ती करने का सिलिसला चालू है, वर्तमान में यहां 120 नियमित और 15 अतिरिक्त बेड फुल हैं। गंभीर बात यह है कि भर्ती होने वालों में 93 मरीज ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है, थोड़ी देर भी ऑक्सीजन हटती है तो सांसे फूलने लगती है।
जिला अस्पताल में ओपीडी बंद होने से छोटी-छोटी बीमारियों के बीमार जिन्हें सिर्फ दवा देकर काम चलाया जा सकता है, उन्हें उपचार नहीं मिल पा रहा है। ओपीडी बंद होने की जानकारी मरीजों को नहीं है तो वह घंटों अस्पताल में डॉक्टर की तलाश में भटकते है। थकहार कर वह मेडिकल स्टोर से दवा लेकर लौट आते हैं। जहां एक तरफ सरकारी ओपीडी बंद है तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी चिकित्सक फीस के दम पर घरों से मरीज देख रहे हैं। अस्पताल में पैथालॉजी, जांच व एक्सरे की सुविधा सिर्फ भर्ती मरीजों को ही दी जा रही है, ऐसे में बिना भर्ती वाले मरीजों के सामने इसका भी संकट है। हर दिन सुबह से दोपहर तक उपचार कराने वालों का रेला जिला अस्पताल में उमड़ता है लेकिन उपचार के अभाव में इन्हें लौटना पड़ता है।
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सिलिडर बदलने भर में बिगड़ी हालत
जिला अस्पताल में इस समय 93 मरीज ऑक्सीजन पर हैं। यहां प्रतिदिन 26 सिलिडरों की खपत है। सोमवार को यहां दो सिफ्टों में ऑक्सीजन सिलिडर मंगाये गए। दोपहर करीब एक बजे सिलिडर कक्ष में चार सिलिडर बदले जा रहे थे। इस दौरान थोड़ी देर के लिए ऑक्सीजन बंद हुई तो वार्ड में भर्ती मरीजों की सांसे फूलने लगी।
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दवाएं भरपूर पर लाभ सिर्फ भर्ती वालों को
जिला अस्पताल में दवाएं भरपूर है। लेकिन ओपीडी बंद होने से सामान्य मरीजों को दवाएं नहीं मिल पा रही है। दवाएं सिर्फ उन्हीं मरीजों को दी जा रही है जो इमरजेंसी या वार्ड में भर्ती है। अगर यहां ओपीडी की सुविधा कर सभी बीमारों को दवाएं दी जाए तो काफी हद तक स्थिति को नियंत्रण में किया जा सकता है।
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ग्रामीण अस्पतालों में उपचार ठप
खागा, बिदकी, हुसेनगंज, बहुआ, जहानाबाद जैसे क्षेत्र में सीएचसी व पीएचसी है। यहां मरीजों को उपचार दिया नहीं जा रहा। क्योंकि ओपीडी बंद है। यहां मरीज भर्ती न करने से यह अस्पताल दिन भर खाली पड़े रहते हैं। मरीजों को जब यहां उपचार नहीं मिलता तो वह जिला अस्पताल की ओर भागते हैं।
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संक्रमण को देखते हुए सरकार के निर्देश पर ओपीडी बंद है। हम सिर्फ मरीजों को भर्ती कर रहे है, इसलिए सिर्फ भर्ती मरीजों की जांच व दवाएं दी जा रही है। अगर सीएचसी पीएचसी में भी मरीज भर्ती हो तो जिला अस्पताल का लोड कम हो जाए और उपचार की सुलभता हो जाए।
डॉ प्रभाकर, सीएमएस, जिला अस्पताल