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गंगा तराई के किसानों की उम्मीदों को लगा झटका

संवाद सूत्र औंग गंगा तराई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसान तरबूज खरबूजा के साथ लौकी

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 07:43 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 07:43 PM (IST)
गंगा तराई के किसानों की उम्मीदों को लगा झटका

संवाद सूत्र, औंग : गंगा तराई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसान तरबूज, खरबूजा के साथ लौकी, तरोई, परवल, टिडा आदि की खेती करते हैं। पिछले दिनों हुई बारिश से तराई की खेती खासी प्रभावित हुई। अब जबकि मौसम ठीक हो गया है और तैयार सब्जियों को किसान बाजार ला रहा है लेकिन उसे अपनी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। कोरोना क‌र्फ्यू दौरान की गई बंदी की वजह से एकाएक सब्जियों के दाम लुढ़क गए हैं और उसे अपनी लागत व मेहनत का मोल भी निकालना मुश्किल हो रहा है। टिडा व परवल की खेती तो लगभग पूरी तरह से तबाह हो गई है।

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क्षेत्र के लाल खेड़ा, मिश्रन खेड़ा, चहलहा, बाबू खेड़ा, कालीकुंडी, बिदकी फार्म, सदनहा, जाड़े का पुरवा, बेनीखेड़ा, अवसेरी खेड़ा, बड़ा खेड़ा, नया खेड़ा, दरियापुर समेत अन्य गंगा कटरी के गांवों में बड़े पैमाने किसान सब्जी की खेती करते हैं। यहां पर गंगा तराई में तरबूज, खरबूजा के अलावा टिडा, परवल, तरोई, लौकी, कद्दू आदि की फसलें उगाई जाती हैं। शंकर निषाद काली कुंडी, मन्ना निषाद दरियापुर कटरी, रामविलास, रामकुमार, रामबाबू, रमेश निषाद, सुरेश निषाद, राजेश निषाद, रामराज व मोहन लाल ने बताया कि तरबूज की खेती में प्रति बीघे दस से पंद्रह हजार की आमदनी हो जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद यह स्थिति है कि अपनी उपज को बेचना भी मुश्किल हो रहा है। महज कुछ घंटों के लिए मंडी खुलती है, ऐसे में कभी-कभी तो मंडी में पूरा तरबूज बिकता ही नहीं है, ऐसे में औने-पौने दामों में व्यापारियों को बेचना पड़ता है। कहा कि पहले खरबूजा बीस से तीस रुपये प्रति किलो की दर से बिकता था, जिसे आज लोग दस रुपये में भी नहीं ले रहे। वहीं तरोई के दाम भी लुढ़क गए हैं, 25 से 30 रुपये प्रति किलो बिकने वाली तरोई दस से बारह रुपये किलो में बिक रही है। कुछ ऐसी ही स्थिति लौकी की भी है। जो लौकी स्थानीय औंग मंडी में दस से पंद्रह रुपये में बिकती थी, अब उसे पांच रुपये में दो देकर किसी तरह आने-जाने का खर्च निकालते हैं। बोले किसान

का बताई भइया पहिले बारिश होइगे तो टिडा व परवल की फसल तो बर्बाद होइगे। अब खरबूजा व तरबूज से कुछ उम्मीद रहै कि कम से कम लागत अउर मेहनत तो निकरि आई पर कोरोना बंदी के कारण अब कोई पुछतै नहीं आय।

- गंगाराम यादव, सगुनापुर कोरोना बंदी के कारण आपन सब्जी व खरबूज-तरबूज लइके बाहर बेचैं भी नहीं जा सकित और बाहेर के व्यापारिव नहीं आवत हंय, ऐसन मा बस औंग की मंडी मा औने-पौने दामन में सब्जी व तरबूज-खरबूजा बेचि के चले आइत हय।

- राकेश कुमार, दुर्गा नगर शिवराजपुर पिछले दिनन मा हुई बारिश से परवल व टिडा की खेती बर्बाद होइगे हय। अब तो या लागत हय कि कैसे लरिकन पेट भरब। या सब्जी की खेती से बहुत उम्मीद रहै लेकिन लॉकडाउन बराबर बढ़त जात हय, अब तो मेहनत व लागत निकरब मुश्किल हय।

- गया प्रसाद, शिवराजपुर पूरे कुनबे के साथ या खेती का तैयार करंय मा खूब पसीना बहावा लेकिन जब फसल तैयार होइगे तबैं लॉकडाउन लगि गा। अब तो मजबूरी मां जउन दाम मिलत हंय वहीं हिसाब से बेचि चले जइत हय।

- शिवसागर, रानीपुर


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