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स्कूल खुलने की तस्वीर धुंधली, पशोपेश में अभिभावक

जागरण संवाददाता फतेहपुर बीते शिक्षा सत्र में चौपट हुई पढ़ाई नए शिक्षा सत्र के शुरुआत म

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 06:00 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:00 PM (IST)
स्कूल खुलने की तस्वीर धुंधली, पशोपेश में अभिभावक
स्कूल खुलने की तस्वीर धुंधली, पशोपेश में अभिभावक

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बीते शिक्षा सत्र में चौपट हुई पढ़ाई नए शिक्षा सत्र के शुरुआत में ही उसी ढर्रे पर चल पड़ी है। सत्र शुरू होने से पूर्व ही 31 मार्च तक फिर चार अप्रैल तक और अब 11 अप्रैल तक कक्षा आठ तक के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। कोरोना की रफ्तार जिस तरह से प्रदेश में बढ़ रही है। उससे अभिभावक चिता में डूब गए हैं। बिना पढ़ाई लिखाई के इसे रुपयों की बर्बादी करार दे रहे हैं। निजी स्कूलों की ओर से चिह्नित बुकसेलर्स की दुकान में किताब और कॉपियों सहित स्टेशनरी के बंडल बांध कर रखे गए हैं। शिक्षण संस्थान और कक्षा का नाम बताते ही तपाक से बंडल निकाल कर काउंटर में रख दिए जाते हैं।

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कोरोना के चलते बीते सत्र की शिक्षण व्यवस्था बेमजा रही है। न चाह कर भी अभिभावकों से स्कूल प्रशासन ने पूरी फीस वसूल ली है। कई महीनों की राहत के बाद कोरोना की बढ़ी रफ्तार ने लोगों को परेशान कर रखा है। बच्चों के भविष्य को लेकर उनके माता-पिता-अभिभावक परेशान हैं। स्कूल प्रशासन इस परेशानी से कोई ताल्लुक नहीं रख रहा है। फरमान पर फरमान जारी करके अगली कक्षा में प्रवेश, चिन्हित कॉपी, किताब, बस्ता, ड्रेस खरीदने के लिए चिह्नित दुकानों को रास्ता दिखाया जा रहा है। कॉपी के संग ही मिलती किताबें

स्कूल प्रशासन और किताब को छपवाने वाले प्रकाशन की साठगांठ के चलते चिह्नित बुक सेलर्स पर ही यह उपलब्ध हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावक अगर कॉपी न लेने या फिर कम करने की बात रखता है तो बुक सेलर्स तुरंत मना कर देता है। मजबूरी में निर्धारित दाम देकर कॉपी-किताब का बंडल खरीदना पड़ रहा है। नए सत्र में कॉपी, किताब, ड्रेस आदि में करना पड़ रहा खर्च

नए शिक्षा सत्र 2021-22 का संचालन पहली अप्रैल से शुरू हो गया है। सरकारी शिक्षा को छोड़ दें तो बच्चों की पढ़ाई में अभिभावकों को जेब हल्की करनी पड़ रही है। प्राथमिक कक्षाओं में तीन हजार रुपये की कॉपी किताब, 12 से 15 रुपये मासिक फीस, ड्रेस आदि में हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। भय इस बात का है कि समय से किताबें न लेने पर इनकी अनु उपलब्धता हो सकती है। वहीं कुछ नामचीन विद्यालयों ने कोरोना संक्रमण काल की तरह ऑनलाइन क्लासेज भी शुरू करवा दी हैं। ऐसे में अभिभावक खासे परेशान है। कोरोना की रफ्तार कब थमेगी और कब स्कूल खुलेंगे की सोच के बीच नींद हराम हो गई है।

बोले अभिभावक

कोरोना की रफ्तार बढ़ी है ऐसे में अभिभावकों की दिक्कत भी जिम्मेदारों को संज्ञान में लेना चाहिए।

धरमवीर सिंह विद्यालयों के पास शिक्षा में देने के लिए कुछ नहीं होता है। रुपयों की मांग करने से पीछे नहीं हटते हैं।

अनुज कुमार पढ़ाई की तस्वीर दिनों दिन धुंधली होती जा रही है। इसके बावजूद पढ़ाई लिखाई में खर्चा करना मजबूरी है।

प्रेमचंद्र कोरोना दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। कहीं ऐसा न हो कि बीते साल की तरह ही इस वर्ष भी आसार लग रहे हैं।

बृजराज सिंह


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