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जेल पीसीओ बना शोपीस, बात को तरसे रहें कैदी

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : जिला कारागार में शासन के निर्देश पर डेढ़ वर्ष पूर्व स्थापित पीस

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 11:38 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 11:38 PM (IST)
जेल पीसीओ बना शोपीस, बात को तरसे रहें कैदी
जेल पीसीओ बना शोपीस, बात को तरसे रहें कैदी

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : जिला कारागार में शासन के निर्देश पर डेढ़ वर्ष पूर्व स्थापित पीसीओ में अभी तक कैदियों की परिजनों से बात नहीं हो पा रही है। बीएसएनएल कनेक्टविटी न जुड़ने की समस्या से जेल प्रशासन भी परेशान है बीएसएनएल को पत्राचार करने के बावजूद पीसीओ चालू न होने से विभागीय शिथिलता का खामियाजा सजायाफ्ता कैदी व विचाराधीन बंदियों को भुगतना पड़ रहा है। हालांकि जेल प्रशासन दम भर रहा है कि प्रशासनिक अफसरों से वार्ता कर शीघ्र ही पीसीओ संचालित कराया जाएगा।

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जिला कारागार में विभिन्न आरोपों हत्या, डकैती, अपहरण, लूट, राहजनी, दहेज हत्या, चोरी, दुष्कर्म, गैंगेस्टर, बलवा, गोलीकांड आदि में वर्तमान समय 1300 के करीब विचाराधीन बंदी व सजायाफ्ता निरुद्ध हैं। कैदियों की सुविधा के लिए शासन ने 11 अगस्त 2015 को शासनादेश जारी किया था कि कैदियों को सप्ताह में एक बार मां, भाई, बहन, पत्नी, बच्चों आदि से बात करने के लिए पीसीओ स्थापित किया जाए। उसके लिए डेढ़ वर्ष पूर्व शासन ने स्थानीय जिला कारागार को दो पीसीओ की क्योसक मशीनें भी भेज दी थी जिन्हें जेल परिसर में स्थापित भी करा दिया गया है लेकिन जब बीएसएनएल से कनेक्टविटी जुड़ने की बात आई तो अभी तक बीएसएनएल से कनेक्टविटी ही नहीं जुड़ सकी जिससे कैदी अपने परिजनों से बात करने को तरस रहे हैं।

जेल अधीक्षक विनोद कुमार कहते हैं कि कई मर्तबा कनेक्टविटी जोड़ने के लिए बीएसएनएल के अफसरों को पत्राचार किया गया लेकिन अभी तक कनेक्टविटी नहीं जोड़ी जा सकी। जिससे पीसीओ संचालित नहीं हो पा रहा है। जिससे इस संबध में अब प्रशासनिक अफसरों से वार्ता कर समस्या का समाधान किया जाएगा।

इनसेट -

300 कैदियों ने किया था आवेदन

फतेहपुर : जेल में पीसीओ स्थापित होते ही करीब 300 बंदी व कैदियों ने अपने घर का पर्सनल मोबाइल नंबर का आवेदन जेल प्रशासन के पास जमा कर दिया था जिसमें अभी तक सिर्फ दो आवेदनों पर ही जांच पूरी हो सकी है। पीसीओ चालू न होने से अभी तक 298 आवेदन पे¨डग पड़े हुए हैं। हालांकि जेलर देवदर्शन ¨सह व बृजेश पांडेय का कहना था कि पें¨डग आवेदनों पर मोबाइल नंबरों की जांच पड़ताल कराई जा रही है।


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