राजस्व में शिखर चूम अवैध खनन का मिटाया दाग
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : अवैध खनन के लिए सुर्खियों में रहने वाले जनपद ने राजस्व वसूली में प
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : अवैध खनन के लिए सुर्खियों में रहने वाले जनपद ने राजस्व वसूली में प्रदेश में अव्वल स्थान बनाकर दामन में लगी कालिख को मिटाने की कोशिश की है। पूरे साल के लिए मिले सत्तर करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष खनन विभाग ने अगस्त महीने में ही 86 करोड़ का राजस्व सरकार के खजाने में डाल दिया है। वित्तीय वर्ष के अभी सात माह शेष हैं, यह माना जा रहा है कि विभाग इस साल डेढ़ अरब तक का राजस्व वसूल सकता है।
एक दशक से मौरंग खनन जिले का मुख्य कारोबार बना हुआ है। यमुना व गंगा नदी में खनन के लिए 48 भूखंड हैं। प्रदेश के दस से पंद्रह जनपदों में यहां से मौरंग की आपूर्ति की जाती है, जिसमें जिले के ही नहीं प्रदेश के नामी मौरंग कारोबारी लगे रहते है। अवैध खनन को लेकर सपा सरकार में तत्कालीन मंडलायुक्त इलाहाबाद, फतेहपुर डीएम, खनन अधिकारी का निलंबन हुआ। भाजपा सरकार में भी अवैध खनन की कालिख में खागा के तत्कालीन एसडीएम, सीओ, थानाध्यक्ष व खनन अधिकारी का निलंबन किया गया। इसके अलावा पेनाल्टी सहित अन्य कार्रवाई से जिला हमेशा प्रदेश में अवैध खनन को लेकर चर्चा में रहा। वर्ष 2018 विभाग के लिए ऐसा शुभ रहा कि इस बार जिला अवैध खनन में नहीं राजस्व में सरकार की झोली भरने में सुर्खियों में आ गया। पिछले दिनों शासन में हुई बैठक में जिले को खनन वसूली में प्रदेश का अव्वल जिला घोषित किया गया।
इस तरह हुई वसूली
- साल का लक्ष्य - 70 करोड़
- अगस्त तक का लक्ष्य - 23.45 करोड़
- अगस्त तक की वसूली - 85.81 करोड़
- वसूली का प्रतिशत - पौने चार सौ गुना
कहां से कितना मिला
- घाटों की रायल्टी से - 65 करोड़ लगभग
- ईंट-भट्ठों से बकाया - 2.0 करोड़ लगभग
- ओवर लोड़ पर कार्रवाई से - 1.51 करोड़
- मिट्टी की रायल्टी - 5.0 करोड़
- अर्थदंड व अन्य - 12.0 करोड़
अक्टूबर से पांच नए भूखंड होंगे चालू
- जिले के सारे भूखंड चालू हो जाए तो सरकार के खजाने में पहुंचने वाला राजस्व कई गुना बढ़ सकता है। इस समय कुल 48 भूखंडों में ई-नीलामी के तहत 18 भूखंड ही आवंटित हो पाए है। खनन अधिकारी सौरभ गुप्ता ने बताया कि जुलाई माह से अढावल व गोकन के भूखंड में ही खनन चालू हो पाया था। अढावल द्वितीय, संगोलीपुर गढ़ा, कोर्रा-कनक ए-4, रामनगर कौहन एक के भूखंड अक्टूबर माह से शुरू हो सकते हैं। पर्यावरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की कार्रवाई अंतिम स्टेज में हैं। सभी भूखंडों के चालू हो जाने के बाद राजस्व में भारी इजाफा होगा।