रंजिश में ताबड़तोड़ फायरिग से दहशत, तीन जख्मी
जागरण संवाददाता फतेहपुर शहर क्षेत्र के पत्थरकटा चौराहे के समीप शनिवार सरेशाम वर्चस्व को लेकर असलहों से लैस हमलावरों ने तीन युवकों को बंधक बनाकर पीटा। वह जान बचाकर भागते हुए कार में जा बैठे तो हमलावरों ने रिवाल्वर से ताबड़तोड़ तीन फायर किए।
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : शहर के पत्थरकटा चौराहे के पास शनिवार सरेशाम रंजिश के चलते असलहों से लैस हमलावरों ने तीन युवकों को बंधक बनाकर जमकर मारापीटा। युवक जान बचाकर कार में घुसे तो हमलावरों ने लाइसेंसी रिवाल्वर से ताबड़तोड़ तीन फायर किए। इससे कार के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए। हालांकि कार सवार लोग बाल-बाल बच गए। सूचना पाकर कोतवाल मौके पर पहुंचे उससे पहले ही हमलावर कार से फरार हो गए। पुलिस ने घटना स्थल से एक 32 बोर की रिवाल्वर, 12 बोर के कारतूस व एक खोखा बरामद किया है। घायल तीनों युवकों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पत्थरकटा चौराहे में एसबीआई बैंक के पास से गई गली में रहने वाले 35 वर्षीय विक्रम उर्फ जानी परिहार 36 वर्षीय चचेरे भाई भूपेंद्र उर्फ सोनू परिहार के साथ शाम को घर से बाहर निकले थे। तभी पहले से घात लगाकर बैठे करीब आधा दर्जन असलहों से लैस हमलावरों ने इन्हें धर दबोचा और जमकर पिटाई कर दी। इससे जानी परिहार का सिर फट गया। चीख पुकार सुन 30 वर्षीय दोस्त अजय भदौरिया भी वहां पहुंच गए तो हमलावरों ने उन्हें भी पीट दिया। इस बीच तीनों जान बचाकर रोड की तरफ भागे और काले रंग की कार में छिप कर बैठ गए। इसपर हमलावरों ने कार पर ताबड़तोड़ तीन फायर किए, जिससे गोली सीधे कार में जा लगी। इससे शीशे चकनाचूर हो गए। ताबड़तोड़ फायरिग से मोहल्ले में दहशत फैल गई।
घायल जानी परिहार का कहना था कि रंजिश उसकी हत्या का प्रयास किया गया है, सिर में गोली के छर्रे लगे है। शहर कोतवाल रवींद्र श्रीवास्तव का कहना था कि किसी को गोली नहीं लगी है। वर्चस्व को लेकर मारपीट हुई है। घायल से पूछताछ में जितेंद्र उर्फ दीपू पटेल आदि के नाम प्रकाश में आए हैं। उनकी तलाश कराई जा रही है और हुसेनगंज थाने के लोहारी तक पुलिस फोर्स भेजी गई है।
एक माह पूर्व पिटाई कर झोंका था फायर
पत्थरकटा चौराहा निवासी रिटायर्ड विद्युत कर्मी श्यामलाल पटेल व इनके बेटे जितेंद्र उर्फ दीपू पर एक माह पूर्व जानलेवा हमला हुआ था। हमलावरों ने उक्त पिता-पुत्र को पीटकर फायर भी झोंका था। हालांकि गोली किसी को नहीं लगी थी। इसमें जानी परिहार आदि नामजद किए गए थे। मोहल्ले के लोगों में चर्चा है कि दोनों गुट कभी गहरे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन दीपू के पिता की पिटाई के बाद दोनों गुट में रंजिश बढ़ गई थी। हालांकि शहर कोतवाल का भी कहना था कि अनुमान है कि उसी रंजिश में दीपू ने अपने साथियों के साथ घटना को अंजाम दिया है।