घर में नहीं भर रहे पेट तो गांवों से शुरू हुआ पलायन
जागरण टीम फतेहपुर कोरोना संकट के दौर में घर वापसी करने वाले कमाऊपूत युवा अब फि
जागरण टीम, फतेहपुर : कोरोना संकट के दौर में घर वापसी करने वाले कमाऊपूत युवा अब फिर से रोजी रोटी की जुगाड़ में परदेश वापस लौटने लगे हैं। युवाओं को काम न मिल पाने के कारण वह पलायन करने लगे हैं। रोजी-रोटी के जुगाड़ में परदेशी बाबू परिवार सहित गैर प्रांतों को कूच करने लगे हैं। जिले से प्रतिदिन भारी संख्या में लोग गांवों से पलायन कर रहे हैं।
कोरोना संकट के चलते परदेश से लौटने वाले श्रमिकों की संख्या 80 हजार दर्ज हुई है जबकि इतने ही लोग ऐसे हैं जिनका पंजीकरण नहीं हुआ है। तीनों तहसीलों के गांवों में यह श्रमिक परिवार सहित छह माह से पड़े हुए हैं। कामकाज न मिलने से यह बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। जमापूंजी से दैनिक खर्च निपटा रहे हैं। ऐसे में प्रतिदिन उनकी जमा पूंजी कम होती जा रही है तो रोजगार की टोह लेने में जुटे थे।
बहुआ और असोथर ब्लाक के गांवों में देवरी, कोर्रा, दतौली, मुत्तौर, रतनतारा, जमेनी, दसौली, ललौली, दरियापुर, अकिलाबाद, सिधांव, सरकंडी, प्रेममऊ, जवाहर का डेरा, यदुनाथ का डेरा सहित यमुना तटवर्ती गांव के युवा श्रमिक गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र में नौकरी करते हैं। लॉकडाउन के दौरान आए संकट के चलते यह परिवार सहित घर आ गए थे। बीते डेढ़ महीने से युवाओं के वापसी का दौर चल रहा है। परदेश जा रहे युवा राजरतन ने बताया कि वह पुणे काम करते थे वहीं पर वापस जा रहे हैं। इसी तरह राज किशोर, रामू, जगजीवन आदि का कहना रहा है कि यहां पर रोजगार नहीं मिल रहा है। अब जमा पूंजी भी खत्म हो गई है।
प्राइवेट बसों से हो रहे रवाना
मुत्तौर और ललौली से सीधी बस सेवा पकड़ कर वापसी हो रही है। इसमें ज्यादातर युवा और उनके परिवार गुजरात प्रांत तथा महराष्ट्र की वापसी कर रहे हैं। प्राइवेट बसों में बाकायदा टिकट बुक हो रहे हैं और इन्हें गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है। परदेशी बाबू के परिवार सहित घर छोड़ने से बुजुर्ग मां-बाप ही घर पर बच रहे हैं।