फतेहपुर में खिलखिलाया बाजार, घर-आंगन गुलजार
जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना से मायूस हुआ बाजार धनतेरस की सौगात से खिलखिला उठा। घ्
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : कोरोना से मायूस हुआ बाजार धनतेरस की सौगात से खिलखिला उठा। घर-आंगन खुशियां लाने के लिए हर किसी ने दिल खोलकर खरीदारी किया तो दुकानदारों के चेहरे खिल उठे। गुरुवार को सुबह से लोग बच्चों के साथ बाजार की ओर रूख करने लगे। दोपहर तक तो स्थिति यह बनी कि बाजारों में पैर रखने की जगह नहीं रही। बिजली की चकाचौंध रोशनी के बीच लोगों ने दिल खोलकर खर्च किया और सामान अपने घरों को लेकर आए।
शहर से लेकर कस्बों व गांवों तक धनतेरस की खुशियां सिर चढ़ कर बोलती हुई दिखाई दीं। कोरोना काल के चलते अप्रैल माह से बाजारों में सन्नाटे धनतेरस के पर्व ने मानों उजाड़ दिया। खरीदारी के उत्साह के चलते बाजार का सन्नाटा गुरुवार को औधें मुंह गिरा रहा। शहर में इलेक्ट्रानिक हब के लिए चर्चित वर्मा चौराहे की रंगत देखते ही बनी। दुकानों के सामने की चकाचौंध रोशनी ने ग्राहकों का बरबस खूब लुभाया। एलइडी, फ्रिज, वाशिग मशीन, इंडक्शन चूल्हा आदि खरीदे गए। बाजार कर रहे सिविल लाइन के सुभाष ने कहा कि डबल डोर की फ्रिज ले रहे है, साथ में बच्चे ही आए है। हसवां से आए प्रेम सिंह एलइडी पसंद कर रहे थे।
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खूब चमका बर्तन बाजार
- धनतेरस में बर्तन बाजार का कोई जोड़ नहीं रहा। आम से खास तक शुभ के लिए बर्तन की दुकानों में पहुंचे तो बर्तन बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं बची। चौक के ठठराही, हरिहरगंज, देवीगंज, राधानगर में चमचमाते बर्तनों की आलीशान दुकानें हर किसी को आकर्षित करती रही। सुबह से देर रात तक महिलाएं शुभ के साथ जरूरत पूरी करने के लिए के लिए गृहस्थी में उपयोगी सामान पसंद करती रही। इस साल स्टील के साथ तांबा व पीतल लोग ज्यादा पसंद करते रहे।
यह रहा रेट
धातु - प्रति किलो
स्टील - 200 से 400 रुपये
पीतल - 400 से 600 रुपये
तांबा -600 रुपये
कस्कुट- 800 रुपये
फूल - 1200 रुपये
इंडक्शन - 2200 से 3000 रुपये प्रति अदद बच्चों को मिला साइकिल का उपहार
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : धनतेरस के पर्व पर जहां साने-चांदी, बर्तन, वाहन आदि की जमकर खरीदारी हुई तो बच्चों के लिए साइकिलें खरीद कर माता-पिता ने उपहार दिया। कई दिनों से साइकिल खरीदने के लिए दुकानों में तलाश पहले से ही पूरी कर ली गई थी। शहर के देवीगंज, गंगा नगर में आधुनिक और सुविधाओं से लैस साइकिलें खरीदी गई। नई साइकिल पाकर बच्चे उल्लास और उमंग से झूम उठे। नई साइकिल को चलाने के लिए भाई-बहनों में आपस में झगड़े भी होते रहे।