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बुजुर्गों की तन्हाई, सरकार नहीं खत्म कर पाई

जागरण संवाददाता फतेहपुर बुजुर्गों के लिए शासन ने भले ही नियम कानून बना रखे हों लेकिन

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 11:44 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 11:44 PM (IST)
बुजुर्गों की तन्हाई, सरकार नहीं खत्म कर पाई
बुजुर्गों की तन्हाई, सरकार नहीं खत्म कर पाई

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बुजुर्गों के लिए शासन ने भले ही नियम कानून बना रखे हों, लेकिन जिले में इन वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। शहर से लेकर गांव तक बुजुर्ग तन्हाई के आलम में जी रहे हैं। बहुआ कस्बे में एक वृद्धाश्रम खोला गया है। इसे खुद न संचालित करके निजी संस्था को सौंपा गया है। कस्बे में संचालित 50 वरिष्ठ नागरिक वाले इस आश्रम में 41 महिला पुरुष रह रहे हैं।

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छह दशक की जिदगी पार कर चुके महिला-पुरुषों को वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में डाल दिया जाता है। सीनियर सिटिजन के तहत उन्हें शासन से अनुमन्य सुविधाएं दिए जाने का प्रावधान है। साठ साल की उम्र पार करने के बाद उन्हें कौन-कौन सुविधाएं मिल सकती है इसका तक ज्ञान नहीं है। कोरोना में ऐसे लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ी तो लोग मदद को आगे आए तब जाकर इनका काम चल सका है। शासन के निर्देश पर डीएम ने जिले में थानावार वरिष्ठ नागरिकों की सूची बनाने का काम शुरू कराया है। इसको लेकर काम शुरू हो चुका है। जिले की 30 लाख की आबादी में करीब 7 लाख से ऊपर है। सुविधाओं के नाम पर चंद लोगों को वृद्धावस्था पेंशन का झुनझुना मिला है। दवा इलाज के लिए इन्हें दूसरों की राह ताकनी पड़ती है। कोरोना संकट में भले ही इनकों दवाएं उपलब्ध किए जाने का दावा किया हो, लेकिन जिले में इसका लाभ लेने वाले खोजे नहीं मिल रहे हैं।

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अब जीवन बहुत कठिन हो गया है। शरीर के अंग अब काम नहीं करते हैं। शासन ने उनके लिए क्या योजनाएं बनाई हैं, मालूम नहीं हैं। विमला देवी कभी यह सोचा नहीं था कि ऐसे दिन से गुजरना पड़ेगा। सरकार हम बूढ़ों के लिए कुछ नहीं कर रही है और कभी किया भी नहीं है। शिवगोपाल सीनियर सिटिजन नियम सुना है, लेकिन इसका क्या लाभ है यह अब तक नहीं जान पाया हूं। खैरख्वाही रखने वाले खोजे नहीं मिलते हैं। जसवीर सिंह जीवन है तो जीना पड़ेगा, बाकी इस उम्र में जीने का कोई मतलब नहीं रह गया है। हर पग में कष्ट ही कष्ट भरे हैं। योजनाएं कागज में चलती हैं। राम सजीवन

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शहर का वृद्धाश्रम हुआ बंद

शहर के जीटी रोड के पास समाजसेवी साहूलाल गुप्ता ने 90 के दशक में वृद्धाश्रम खोला था। इसमें सताए हुए या फिर निराश्रित महिला और बुजुर्गों को शरण मिला करती थी। समाजसेवी के निधन के बाद 20 सालों से संचालन बंद हो गया है।

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नाकाफी साबित हो रहा संचालित वृद्धाश्रम

जिले के बहुआ कस्बे में 50 लोगों को आश्रय देने वाला वृद्धाश्रम नाकाफी साबित हो रहा है। 30 लाख की आबादी में 7 लाख से ऊपर वरिष्ठजनों के लिए हर ब्लाक में एक आवासीय आश्रम को बढ़ाए जाने की मांग उठाई जाने लगी है।


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