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मानसिक दबाव कम होने के साथ बढ़ेगा ज्ञान का स्तर

जागरण संवाददाता फतेहपुर साढ़े तीन दशक बाद शिक्षा में बदलाव की तैयार की गई जमीन को खा

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 12:02 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 12:02 AM (IST)
मानसिक दबाव कम होने के साथ बढ़ेगा ज्ञान का स्तर

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : साढ़े तीन दशक बाद शिक्षा में बदलाव की तैयार की गई जमीन को खासी सराहना मिली है। शिक्षा को लेकर केंद्रीय सरकार के बदलाव की भूरि भूरि सराहना की जा रही है। जब प्राइवेट और सरकारी में शिक्षा का स्तर सामान्य होगा तो नि:संदेह इसका लाभ आम जनता को मिलेगा। नई शिक्षा नीति हर बच्चे को मिलेगी और अभिभावक भी इसका लाभ उठा सकेंगे। देवभाषा संस्कृत हो या फिर इलाकाई भाषाओं को सम्मान देने की भरपूर कोशिश की गई है। नई नीति में किया गया सुधारात्मक बदलाव देश के शैक्षिक स्तर को बढ़ाने में खासा कारगर होगा। शिक्षाविदों ने यह माना नई शिक्षा नीति से अंकों की दौड़ में मानसिक दबाव में रहने वाले बच्चों को राहत मिलेगी, ज्ञान का स्तर बढ़ाकर शिक्षा को रोजगार परक बनाने के प्रयास सराहनीय है।

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प्रतिक्रियाएं

नई शिक्षा नीति बेसिक के प्री प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा को नई दिशा देगी। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जहां तक संभव हो पांचवी कक्षा तक मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम रहेगी। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा में यूजीसी, एनसीइआरटी, एआइसीटीइ का अस्तित्व भी खत्म होगा और रेग्युलेटरी बॉडी बनाई जाएगी।

डॉ. प्रशांत द्विवेदी, विभागाध्यक्ष, डॉ. भीमराव आंबेडकर राजकीय महिला महाविद्यालय -5 3 3 4 आधारित नई शिक्षा व्यवस्था नए आयाम गढ़ेगी जिसका लाभ आने वाली पीढि़यों के साथ देश को मिलेगा। इस व्यवस्था के तहत कक्षा 5 तक बिना अंग्रेजी की अनिवार्यता के साथ इलाकाई भाषा को महत्व दिया गया। कक्षा 6,7 और 8 में तकनीकी आधारित शिक्षा मिलेगी। कक्षा 10 से 12 तक कंबो पढ़ाई का लाभ मिलेगा। 4 सालों में बच्चे को रुचि के अनुसार दिशा मिलेगी।

उदय प्रभात, प्रधानाचार्य जीआइसी यूं तो नई शिक्षा नीति की जितनी सराहना की जाए वह कम है। खास कर दो बिदु जिसमें कक्षा 5 तक के बच्चे अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे। मातृभाषा और परिवेशीय भाषा अधिक लाभप्रद सिद्ध होगी। दूसरा यह कि बच्चे अपने परिवेश के शिल्पों का व्यावहारिक ज्ञान उससे जुड़े लोगों से ले सकेंगे।

असिया फारूकी, राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका नई शिक्षा नीति प्रशंसनीय है इसमें उम्र ज्ञान और दैनिक आवश्यकताओं के बीच समन्वय झलक रहा है। व्यवहारिक ज्ञान जो कि प्रतिदिन की आवश्यकता है उस पर फोकस है। परीक्षा का डर कम होगा। रुचियों के अनुसार बीच में बदलाव भी किए जा सकेंगे। शिक्षकों को भी अपने में बदलाव के लिए तैयार रहकर इसकी मुख्यधारा से जुड़ना होगा।

जवाहर सिंह, प्रधानाचार्य सर्वोदय इंटर कॉलेज गोपालगंज राष्ट्रीय शिक्षा नीति का फ्रेमवर्क अत्यंत उन्नत है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार के रास्ते खुले हैं। भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ज्ञान आधारित, रोजगार उन्मुख, तकनीकी युक्त तथा विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में सहायक शिक्षा मिलेगी। नीति में उच्च माध्यमिक विद्यालयों में गणित और विज्ञान अनिवार्य विषय बनाए जाने से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होगा।

डॉ. प्रियंका जायसवाल, प्रधानाचार्य निरंकारी बालिका विद्यालय नई नीति में सकारात्मक परिवर्तन की अमिट छाप दिख रही है। इसमें लचीलापन, हुनर को बढ़ावा मिलेगा। ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत के साथ बौद्धिक क्षमता संवर्धन को बल मिलेगा। खेलकूद तथा अन्य सहगामी क्रियाओं का रुचिकर शिक्षण एक नया प्लेटफार्म देगा। पांचवी कक्षा तक मातृभाषा और स्थानीय भाषा को शामिल किए जाने से भाषा को सम्मान का नया आयाम मिलेगा।

नीलम भदौरिया, राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका नई शिक्षा नीति पुरानी घिसे पिटे सिस्टम का अंत करके तकनीकी और नवाचार तथा अनुसंधान की पढ़ाई का आधार बनेगी। एक राष्ट्र-एक शिक्षा के सपने को साकार करेगी। शुरूआत में किताबों के बोझ से निजात मिलेगी तो कक्षा 10 से बच्चा किस क्षेत्र में जाना चाहता है को चुनकर भविष्य का निर्माण करेगा। नई शिक्षा नीति देश और बच्चों की दिशा और दशा बदलने में सार्थक सिद्ध होगी।

डॉ. हेमंत त्रिपाठी, प्रधानाचार्य डॉ. सत्य नारायण भारती विद्यालय शिक्षा की बदहाली और बच्चों के लिए नई शिक्षा नीति अमृत के समान साबित होगी। जरूरत इस बात की है कि हर नियम की तरह उसका तोड़ न निकाल लिया जाए। इसको लेकर व्यापक बनाई गई कार्ययोजना में ठोस और प्रभावी कदम उठाने के साथ ही काम करना होगा। तभी इस बदलाव के सार्थक परिणाम सामने आ पाएंगे। - रामानंद मौर्य अभिभावक सरकारी विद्यालयों की शिक्षा अभी तक बदहाली के दौर से गुजर रही है। इसका फायदा प्राइवेट शिक्षालय उठाते रहे हैं। एक समान शिक्षा को लेकर किया गया बदलाव जिम्मेदारों की कर्तव्य निष्ठा की परीक्षा होगी। सही और सफल क्रियान्वयन पर जोर देकर इसे सफल बनाया जाना चाहिए। नियम तो बहुत बनते हैं लेकिन फलीभूत नहीं हो पाते हैं।

शिव किशोर प्रजापति, अभिभावक साढ़े तीन साल बाद किसी सरकार को शिक्षा में बदलाव किया है। इसके सकारात्मक परिणाम भी आने चाहिए। इसके बिना बदलाव का फार्मेट शिक्षा में फिट नहीं होगा। सरकारी विद्यालय से अभिभावकों का लगाव दूर हो चुका है इससे लगाव बढ़ेगा। बच्चा किस क्षेत्र में जाना चाहता है इसको लेकर अच्छा और सुगम रास्ता निकाला गया है।

आदित्य वर्मा, छात्र


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