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खाद्य तेलों के दामों में बढ़ोत्तरी, किचेन खर्च में पड़ी महंगाई की मार

जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना के चलते आई महंगाई ने खाद्य तेलों को भी समेट लिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 11:09 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 11:09 PM (IST)
खाद्य तेलों के दामों में बढ़ोत्तरी, किचेन खर्च में पड़ी महंगाई की मार

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : कोरोना के चलते आई महंगाई ने खाद्य तेलों को भी समेट लिया है। महंगाई के चलते लोग परेशानी की जद में आ गए हैं। लाही और सरसों का तेल करीब डेढ़ गुने ऊंचे दामों में बिक रहा है। डेढ़ गुना महंगाई से किचेन संवारने वाली महिलाएं चितित हो उठी हैं। कम दाम के बजाए लोगों को अधिक दाम अदा करने पड़ रहे हैं। थाली का स्वाद बढ़ाने के लिए खास कर महिलाओं को सोचना पड़ रहा है।

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मार्च के अंतिम माह में जब कोरोना का संक्रमण फैलना शुरू हुआ था तब सील बंद सरसों-लाही का तेल 105 रुपये प्रति लीटर के दाम से बिक रहा था। यह दाम नामचीन ब्रांडेड कंपनियों के हैं जबकि नॉन ब्रांडेड कंपनियों का तेल 80 से 90 रुपये में बिकता रहा है। सात माह पूरे होते ही इन तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं। नामचीन कंपनियों का सरसों-लाही का तेल 145 से 150 रुपये प्रति शीशी प्रति लीटर में बिक रही है। इसके दाम अभी बढ़ने की संभावना है। कारण कि लाही की फसल आने में अभी कम से कम तीन माह का समय लगेगा। नवंबर माह में लाही की बोआई हो रही है। कोई भी फसल 90 दिन से पहले उपज नहीं देती है। पीला तेल लोगों को परेशान किए हुए है। लोग बड़े कैन के बजाए छोटी शीशियां लेकर काम चला रहे हैं। --------------------------------------------- रिफाइंड तेल में हुई बढ़ोत्तरी खाद्य तेलों में रिफाइंड पहली पसंद रहती है। बहुतायत लोग सरसों के तेल के बजाए नामचीन कंपनियों का रिफाइंड उपयोग में लाते हैं। कई लोगों का स्वाद सरसों के तेल में ही लुटा हुआ है। कोरोना संक्रमण के पहले रिफाइंड 80 से 90 रुपये प्रति पैकेट बिक रहा था। अब 80 रुपये वाला रिफाइंड 115 से 120 रुपये में बिक रहा है। दुकानदारों का कहना है कि हर पैकेट में एमआरपी लिखी होती है। इसी के आधार पर बिक्री की जाती है। कंपनियों द्वारा दाम बढ़ाए गए हैं उन्हें तो बिक्री पर चंद रुपये मिलते हैं। दामों में बढ़ोत्तरी से उनका कोई लेना देना नहीं होता है। ................................

स्पेलरों में लाही का तेल 130 रुपये प्रति किग्रा घरों में उपयोग में उपयोग में आने वाला लाही का तेल जिले में खुले स्पेलरों के माध्यम से खरीदकर घर पहुंचता है। बाजार में कंपनियों के लाही के तेल के दाम बढ़ जाने से 120 रुपये प्रति किग्रा बिकने वाला लाही का तेल दस रुपये की उछाल के साथ 130 रुपये में पहुंच गया है। स्पेलर चलाने वाले रामानंद और सियाराम कहते हैं कि लाही के दाम दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। जब लाही ऊंचे दामों में मिल रही है तो तेल के दामों में वृद्धि स्वाभाविक है। जिन लोगों को खुले बाजार में मिलने वाले तेल पर भरोसा नहीं होता है वह सीलबंद कंपनियों की बोतल अथवा कैन खरीदते हैं। ---------------------------------------- - चारों ओर महंगाई का दौर चल रहा है। किचेन की महंगाई में आग लग गई है। अभी तक सब्जी की मार झेल रहे थे। अब सरसों का तेल परेशान कर रहा है। नीलम गुप्ता - सरकार महंगाई में नियंत्रण नहीं रख पा रही है। यही वजह है कि मार्च माह से लेकर अब तक खाद्य तेलों में डेढ़ गुना महंगाई हो गई है। सरिता उमराव - महंगाई की मार से किचेन संवारना मुश्किल हो रहा है। महंगाई दिनों दिन परेशानी में डाल रही है। सरसों का तेल दामों में आसमान छू रहा है। रेखा - कोरोना के बाद महंगाई में खासा इजाफा हुआ है। दैनिक उपयोग में आने वाले रिफाइंड और सरसों के तेल डेढ़ गुने दाम में पहुंच गए हैं। मोनी गुप्ता


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