Move to Jagran APP

माटी में रमे तो बना लिया अपना अर्थतंत्र

लालता दुबे असोथर (फतेहपुर) बारह सौ की आबादी वाले यमुना कटरी के सरकंडी के मजरे गा

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:30 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 11:30 PM (IST)
माटी में रमे तो बना लिया अपना अर्थतंत्र
माटी में रमे तो बना लिया अपना अर्थतंत्र

लालता दुबे, असोथर (फतेहपुर) : बारह सौ की आबादी वाले यमुना कटरी के सरकंडी के मजरे गांव लक्ष्मणपुर ने कोरोना के संकट काल में कामयाबी एक नई इबादत लिख दी। गांव के कमाऊ सदस्य पंजाब, दिल्ली व देहरादून से लौटे तो रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। युवाओं ने यमुना मइया की माटी चूमी और रेत में सब्जी का कारोबार शुरू कर दिया। परवल, टमाटर, बैंगन, तरबूज, करैला आदि की खेती शुरू कर गांव में ऐसा अर्थतंत्र तैयार किया, जिसमें युवाओं के साथ महिलाओं को भी काम मिल गया। प्रवासी गांव की माटी में ऐसे रमे कि खुद कारोबारी बनकर सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे है।

loksabha election banner

गांव के चुन्नू निषाद, प्रेम निषाद, सेवक निषाद, मिरचइयां पासवान, लक्ष्मी पासवान कोरोना संक्रमण के समय रोजगार छोड़ कर गांव आए तो परिवार चलाने की मुश्किलें सामने आने लगी। लौट पर फिर परदेश जाएं या फिर गांव में रोजगार तलाशें यह चिता प्रेम व चुन्नू ने मिलकर की तो यमुना मइया की रेत याद आ गई। चून्नू ने बताया कि हमारे बुजुर्ग यमुना की रेत में तरबूज, करैला की खेती पहले से करते आए है। हम सभी लोगों ने मिलकर बड़े क्षेत्रफल में तकनीक के साथ खेती करना शुरू किया तो पहले महीने में ही सभी के हिस्से में बीस-बीस हजार की आमदनी आई। फिर क्या हम लोगो ने तय कर लिया कि अब बाहर नहीं जाएंगे। यमुना की तीन सौ बीघा के रेत में सब्जी की खेती करने लगे जिसमें गांव के दो सौ से अधिक लोगो को रोजगार मिल रहा है।

- ----------

डीसीएम से मंडी भेजते माल

- यमुना कटरी का यह गांव हरी सब्जी का हब बन गया है। असिचित क्षेत्रफल वाले इस इलाके पर सब्जी की खेती नदी के पानी व नलकूप से करते है। ग्रामीण बताते है कि असोथर, गाजीपुर समेत आसपास के कस्बे के कारोबारी गांव आकर थोक में सब्जी खरीदते हैं। बताया कि डीसीएम से परवल व टमाटर प्रयागराज व रायबरेली की मंडी में ले जाते हैं।

---------------------------

साल में दस माह होती फसल

- कटरी में सब्जी बेल्ट तैयार करने वाले युवा सेवक निषाद का कहना है कि एक साल में कारोबार को जो रफ्तार मिली उससे यह भरोसा हो गया है कि नौकरी के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा। बारिश के दो महीना छोड़ दिया जाए तो पूरे दस माह सब्जी की खेती से रोजगार मिल रहा है। कहा कि सब्जी की खेती के क्षेत्रफल में बराबर इजाफा हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.