अलविदा 2020 : शिक्षा-स्वास्थ्य में उड़ान, पुल अधूरे
जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना के वैश्विक संकट की आफत ऐसी टूटी की साल के छह म
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : कोरोना के वैश्विक संकट की आफत ऐसी टूटी की साल के छह माह विकास पूरी तरह से ठिठका रहा। हौसले के साथ जिदगी ने रफ्तार पकड़ी तो विकास को भी राह मिलने लगी। वर्ष 2020 शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में कामयाबी के लिए जाना जाएगा। दशकों पुरानी मांग में केंद्रीय विद्यालय के संचालन से खुशी का ठिकाना नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की स्थापना मील का पत्थर साबित हो रहा है। स्पोर्ट्स कालेज समेत यमुना के तीन घाटों में बन रहे पक्के पुलों का निर्माण ठिठका रहने से लोगों में मायूसी रही। सौगात -1
केंद्रीय विद्यालय
-वर्ष 2011 से हिचकोले खा रही केंद्रीय विद्यालय योजना धरातल पर इस वर्ष क्रियान्वित हो पाई है। कागजों में तो कभी कागजों से बाहर हुई शिक्षा क्षेत्र की महत्वपूर्ण योजना कोरोना संकट के चलते जुलाई में संचालित हो पाई। कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के प्रवेश हो चुके हैं। कोरोना गाइड लाइन के चलते अलबत्ता कक्षाओं का संचालन नहीं हो पा रहा है। प्रवेश पाए बच्चों के साथ अभिभावक खासे खुश हैं। प्रधानाचार्य आमोद कुमार झा ने बताया कि इस वर्ष प्रत्येक कक्षा में 40 बच्चों का प्रवेश लिया गया है। आने वाले शिक्षा सत्र में दोहरी कक्षाओं के संचालन की आशा है। सौगात -2
मेडिकल कॉलेज ने बढ़ाया जिले का गौरव
- भले ही कोरोना काल के कारण अनेक कामों पर ब्रेक लग गयी और काम लेट-लपेट हो गए। लेकिन जिले में सौंरा के निकट बन रहे 100 बेड के मेडिकल कालेज को इस वर्ष में भी रफ्तार मिली। इसका करीब 44 फीसद काम पूरा हो गया है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी यहां काम में तेजी दिखी। इस काम ने जिले का गौरव प्रदेश के कोने-कोने तक बढ़ाया। 86 करोड़ की लागत से बन रहा मेडिकल कालेज जिले से कल तक सपना था। लेकिन अब यह काम 2021 में पूरा होने की स्थिति में आ गया है। इसको लेकर जिले के राजनीतिक लोगों से लेकर अफसर तक खुश हैं और इसे उपलब्धि के रूप में देख रहे हैं। सौगात-3
एसएनसीयू से बचपन को मिली सुरक्षा
-2020 यूं तो अनेक दर्द देकर जा रहा है, लेकिन कुछ अच्छी चीजें भी हुई है जो किसी सौगात से कम नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा की बड़ी सुविधा यह हाल दे गया। जिला महिला अस्पताल में एसएनसीयू यूनिट स्थापित हुई है। जिसमें जन्म से एक वर्ष के बच्चों को उपचार की सुविधा शुरू होने जा रही है। अब गंभीर होने पर प्रसूता मां या नवजात बच्चे को जनपद से रेफर नहीं करना पड़ेगा बल्कि उसे यहीं पर जटिलता का उपचार मिल जाएगा। आधुनिक मशीनों से यह यूनिट पूरी तरह से लैस की गयी है। बाल स्वास्थ्य के लिए यह किसी तोहफे से कम नहीं है। इनसेट-------------------
2020 में इन कामों ने लगाया चार चांद
-32 जगहों पर पेयजल के लिए पानी टंकियां बन गयी।
-अलग-अलग योजनाओं से 97 छोटी-बड़ी सड़कें बनी।
-798 गांवों में सामुदायिक शौचालय भवन बनाए गए।
-258 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवनों का निर्माण हुआ।
-जहानाबाद में एक आइटीआइ का निर्माण कार्य पूरा हुआ।
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सीवर लाइन की उम्मीद में हाथ लगी निराशा
-सीवर लाइन योजना अस्सी के दशक से फाइलों में झूल रही है। तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इसकी आधारिशला भी रख दी थी लेकिन धन आवंटन न होने के चलते इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। हर चुनाव में यह मुद्दा बनती है लेकिन धरातल पर यह अभी तक नहीं पहुंची है। योजनाओं के चक्कर काटकर फाइलों में सिमट कर रह जाती है। इसी साल नमामि गंगे योजना में चयनित करके प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा था। जहां से इसमें मुहर नहीं लग पाई है। वर्ष 2020 भी इस योजना के साथ न्याय नहीं कर पाया है।
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यह काम अब भी अधूरे दे रहे दर्द
- स्पोर्ट्स कालेज नेवलापुर का निर्माण अधूरा रह गया।
-यमुना नदी में दांदो व औगासी व रामनगर कौहन पुल अधूरे रह गए।
-पोषाहार बनाने के लिए बन रहा प्रदेश का पहला भवन अधूरा है।
-जिला चिकित्सालय में वन स्टाप सेंटर का निर्माण अधूरा रह गया।
- 198 हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर तथा दो पीएचसी का निर्माण अधूरा ।