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परख कर लें उर्वरक नहीं हो सकता नुकसान

फतेहपुर : खेती में प्रयोग में लाए जाने वाले कृषि निवेश उर्वरक सबसे महंगा निवेश होता है। मि

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 05:25 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 05:25 PM (IST)
परख कर लें उर्वरक नहीं हो सकता नुकसान

फतेहपुर : खेती में प्रयोग में लाए जाने वाले कृषि निवेश उर्वरक सबसे महंगा निवेश होता है। मिलावटी व नकली उर्वरक किसान के हाथ पहुंच गई तो उससे फसल के उत्पादन पर असर तो पड़ेगा ही, पैसा भी बेकार चला जाएगा। किसान को चाहिए की उर्वरक की खरीदारी करते समय बेहद सर्तकता बरते और परख कर ही उर्वरक का फसलों में प्रयोग करें। प्रयोग की जाने वाली उर्वरकों में डीएपी, ¨जक सल्फेट, यूरिया, एमओपी में मिलावट की गुंजाइश अधिक रहती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रथम ²ष्टया नकली उर्वरक की परखा हो जाए तो किसान इसकी शिकायत जिलाधिकारी व जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में करें।

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यह होता नुकसान

- नकली व मिलावटी उर्वरक प्रयोग करने से फसल की उत्पादकता में 50 से 60 फीसद की कमी आ सकती है। भूमि को जो तत्व उर्वरक से मिलने चाहिए वह न मिल पाने से भूमि की उर्वरा शक्ति पर सीधा प्रभाव पड़ता है। लगातार नकली खाद के प्रयोग से जमीन की उपजाऊ ताकत खत्म हो जाती है। बहुत पुरानी व खुली रखी रहने पर भी उर्वरक की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

ऐसे करें पहचान

- असली यूरिया पानी में पूरी तरह से घुलनशील होती है, घोल छूने पर शीतलता का एहसास होता है। डीएपी के दाने तवे पर धीमी आंच में गर्म करने पर फूल जाते हैं। डीएपी के दानों को चूना मिलाकर तंबाकू की तरह रगड़ने से तीक्ष्ण गंध निकलती है। सुपर फास्फेट दाने गर्म तवे में डालने से फूलते नहीं। पोटाश के दाने नम करने पर आपस में चिपकते नहीं है, पानी में घोलने पर खाद का लाल भाग पानी से ऊपर तैरता है।

यह होती मिलावट

- यूरिया में तो प्लास्टिक के दाने मिलाने की शिकायतें मिलती है। ब्राडेंड कंपनियों की खाद को कारोबारी खोलकर इसमें सस्ती मिलने वाली खाद मिला देते है। ¨जक सल्फेट में मैग्नीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। सुपर फास्फेट में डीएपी व एनपीके के मिक्चर उर्वरकों के साथ मिलावट की संभावनाएं बनी रहती है। कुछ ऐसे भी कारोबारी है जो केमिकल व डस्ट का प्रयोग कर दाना तैयार कर लेते हैं और उसे मिलावट में उपयोग करते हैं।

बरती जाती सावधानी

- जिला कृषि अधिकारी बृजेश ¨सह ने कहा कि नकली खाद पर अंकुश लगाने के लिए विभाग बेहद सतर्क रहता है। सीजन में पूरे जिले में एक साथ छापामारी कराई जाती है। उर्वरक के नमूने जांच के लिए भेजे जाते हैं। किसानों का चाहिए ही अधिकृत विक्रेता व सरकारी गोदामों से ही उर्वरक की खरीदारी करें। कहा कि उर्वरक मिलावटी होने की आशंका पर किसान शिकायत करे तुरंत कार्रवाई की जाएगी। शिकायतकर्ता किसान का नाम भी गुप्त रखा जाएगा।

अच्छी खेती के लिए सुझाव

- रसायनिक उर्वरक को प्रयोग कम करके किसान जैविक खाद का उपयोग करें।

- भूमि का मृदा परीक्षण कराकर यह समझे की मिट्टी को किस तत्व की जरूरत है।

- जैविक खेती के लिए किसानों को अनुदान भी राज्य सरकार से दिया जाता है।

- खेती के साथ पशुपालन करें इससे गोबर की खाद से भूमि को उर्वरा शक्ति मिलती है।

- जीरो बजट की कृषि तकनीक अपनाकर रसायनिक उर्वरक की मात्रा कम की जा सकती है।

किसानों की समस्याएं

- जिले स्तर पर नकली व मिलावटी उर्वरक की जांच के लिए प्रयोगशाला का अभाव है।

- जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने से मिलावटखोरों की पहचान नहीं हो पाती है।

- उर्वरक व बीज के निजी विक्रेताओं के यहां बिकने वाले माल की जानकारी नहीं होती।

- मृदा परीक्षण की तकनीक से किसानों को जागरूक करने का अभाव बना हुआ है।

- जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए कृषि विभाग द्वारा कारगर कदम नहीं उठाएं जा रहे।


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