मालिक के फोन पर काम पर जाने को तैयार हो रहे प्रवासी
जागरण टीम फतेहपुर कोरोना के साथ जिदगी पटरी पर लौटने लगी तो घर आए प्रवासियों में भी
जागरण टीम, फतेहपुर : कोरोना के साथ जिदगी पटरी पर लौटने लगी तो घर आए प्रवासियों में भी काम-काज की चिता सताने लगी। महानगरों में लंबे समय से काम पर लगे प्रवासियों के रिश्ते मालिकानों से इतने मजबूत हो गए कि वह एक-दूसरे को भुला नहीं पा रहे हैं। हुनरमंदों के पास मालिकानों के फोन आए तो वह नौकरी न करने की बात नहीं कह पाए। किसी ने 10-15 दिन की मोहलत मांगी तो किसी ने काम पर पहुंचने के लिए हामी भर दी। वह कहते हैं कि गांव तो प्यारा लगता है, लेकिन परिवार चलाने के लिए काम तो करना ही होगा।
क्या बोले प्रवासी
चंडीगढ़ की कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले अमौली के पवन कुमार बीस मई को गांव लौटे थे, कहा कि फैक्ट्री के मैनेजर ने फोन करके काम पर बुलाया है, कहा कि वह वहां तक पहुंचने का किराया देने को भी कहा है, स्वजनों की सलाह पर वह जाने को तैयार है।
भारत मोटर ड्राइविग स्कूल चेंबूर मुंबई में ड्राइविग का काम करने वाले गढ़ीजार के सलमान कहते हैं कि स्कूल संचालक ने फोन करके दस जून तक आने को कहा है, साथ ही यह भरोसा दिया है कि संक्रमण से पूरे बचाव के उपाय के साथ काम करना है। कहा कि वह जाने को तैयार है। लुधियाना के एक फैक्ट्री में काम करने वाले बुधरामऊ के राजेंद्र ने कहा कि मालिक ने लॉकडाउन के दौरान का वेतन किसी को नहीं दिया है, कल मैनेजर का फोन आया था कि फैक्ट्री चालू हो गई है, काम पर आ जाओ। हमने धान लगाने के बाद जुलाई में आने के लिए कहा है। नोयडा की मदरसन सुमी सिस्टम लिमिटेड में काम करने वाले अंधमऊ शिव प्रकाश ने कहा कि वह कंपनी में वायरिग का काम करते है, गांव के और कई लोग है, मालिक ने फोन करके सभी को बुलाया है, लेकिन सभी साथी अभी जाने को तैयार नहीं हो रहे। घरवाले कहते हैं कि कोरोना खत्म होने के बाद ही जाना है।