ग्राहक औ अफसर बेफिक्र, प्रतिबंधित पालीथिन का प्रयोग जारी
ग्राहक और अफसर बेफिक्र प्रतिबंधित पालीथिन का हो रहा उपयोग
ग्राहक औ अफसर बेफिक्र, प्रतिबंधित पालीथिन का प्रयोग जारी
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : पर्यावरण और सेहत के लिए हानिकारक साबित हो चुकी पालीथिन उपयोग रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अफसरों के दायित्व निर्वहन में खोट और ग्राहकों में बेफिक्री से पालीथिन का प्रयोग फिर से बढ़ने लगा है। शासन से सख्ती होने पर अफसर कुछ दिन कार्रवाई करने के बाद शांत होकर बैठ जाते हैं। यही वजह है कि शहर से लेकर गांव तक पालीथिन का उपयोग खूब हो रहा है। कोर्ट की मनाही और शासन के आदेश के बावजूद खुले आम दुकानों में सामान भरने का काम होता है। दुकानदार बचाव के लिए कपड़े के थैले रखते हैं, लेकिन सामग्री पालीथिन में ही देते हैं। जिला मुख्यालय में 60 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इसमें पांच प्रतिशत के आसपास पालीथिन, थर्माकोल, प्लास्टिक के कवर, रेड़ीमेट कपड़े के ऊपर लगी पैकिंग प्लास्टिक मिलती है।
50 माइक्रोन से पतली प्लास्टिक के यह हैं दुष्प्रभाव
शोध में सिद्ध हुआ है कि यूं तो सभी तरह की पालीथिन पर्यावरण के लिए अलग अलग तरीके से हानिकारक मानी गई है। 50 माइक्रोन से नीचे की पालीथिन जमीन के भीतर दब जाती है और उससे जो पानी छनकर जाता है वह दूषित हो जाता है। पानी के सेवन से दिव्यांगता जैसी बीमारी आती है। इसके अलावा इससे मोटी पालीथिन जब जमीन के अंदर दब जाती है तो यह वाटर रिचार्ज नहीं होने देती है जिससे भूगर्भ जलस्तर गिरता है।
अब फिर से मांग बढ़ने लगी
जिले में कोर्ट के आदेश और शासन की सख्ती के बाद प्रतिबंधित पालीथिन पर काफी हद तक अंकुश लग चुका था, लेकिन स्थानीय अफसरों की अनदेखी के चलते कुछ दिन चोरी छिपे पालीथिन की ब्रिकी की गई या फिर ग्राहकों को दी गई। वहीं, इन दिनों एक बार फिर से पालीथिन की मांग बढ़ने लगी है।
प्लास्टिक से बनी इन सामग्री का होता उपयोग
दैनिक जीवन में सामान लाने ले जाने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग होता है तो मांगलिक और सामाजिक संगठनों के कार्यक्रमों में खाने और पीने के पानी प्लास्टिक और थर्माकोल से बनी सामग्री का उपयोग होता है। इसमें थाली, गिलास, कटोरी, प्लेट, चम्मच, चाय के कप, पैकिंग पेपर आदि होते हैं।
...तो सूचना भेजने तक सीमित रहता अभियान
कोर्ट और शासनादेश का अनुपालन कराने के लिए जिले के दो नगर पालिकाएं और खागा, किशुनुपर, बहुआ, असोथर, धाता, खखरेड़ू, हथगाम, जहानाबाद नगर पंचायतों में अभियान की फोटो और खबर छपवाकर शासन को भेजकर इतिश्री कर ली जाती है। जिम्मेदार नगर पंचायत क्षेत्र में रहते हैं और पालीथिन का उपयोग करते हुए देखते हैं, लेकिन मुंह मोड़कर चले जाते हैं।
प्लास्टिक का उपयोग जीवन के लिए घातक
जिला अस्पताल के फिजीशियन डा. विनय बाजपेयी बताते हैं कि दैनिक जीवन में प्लास्टिक का समावेश खासा घातक है। गर्म दूध, काफी, चाय सहित खाद्य पदार्थ अगर प्लास्टिक के संपर्क में आते हैं विषैले तत्वों से युक्त हो जाते हैं। विषैले तत्व शरीर पर जाते हैं को कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। लिवर, किडनी तक प्रभावित हो जाती है। जीवन को संवारे रहने के लिए प्लास्टिक से दूरी बनाई जाए। खाद्य पदार्थों का उपयोग धातुओं से किया जाए। मिट्टी में दबने के बाद यह जल संरक्षण में बुरा प्रभाव डालते हैं। प्लास्टिक सालों साल तक नहीं खराब होती है।
कूड़े में दिक्कत पैदा कर रही प्लास्टिक
नगर पालिका के सफाई निरीक्षक राकेश कुमार गौड़ कहते हैं कि शहर में 60 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन निकलता है। इसमें प्लास्टिक की भरमार होती है। मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर का संचालन करने से इसमें रोकथाम लग रही है। प्लास्टिक को अलग करके कतरन बनाई जा रही है। इसका उपयोग सड़क बनाने में किया जाता है। अभियान के दौरान कूड़े में कमतर प्लास्टिक मिलती है। अभियान ठंडा होते ही फिर से कूड़े में प्लास्टिक की भरमार होती है। सबसे ज्यादा पालीथिन पैकिंग युक्त सामग्री की होती है। कूड़े से निकलने वाली प्लास्टिक करीब पांच से छह प्रतिशत होती है। अभियान और जागरूकता के चलते प्लास्टिक उपयोग में महज झलक ही दिखाई दे रही है।
यह भी जानें
जब्त मात्रा - जुर्माना राशि (रुपये)
100 ग्राम - एक हजार
500 ग्राम - दो हजार
एक किग्रा - पांच हजार
पांच किग्रा - दस हजार
पांच किग्रा से अधिक - 25 हजार
चरणबद्ध तरीके अभियान को गति दी जाती है। प्लास्टिक जब्तीकरण और जागरूकता अभियान चलाया गया है। अभियान में 38 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है। माह के अंत में फिर से अभियान चलाया जाएगा। अभियान के लिए टीम का गठन किया गया है। अभियान चलाकर प्लास्टिक के व्यापारियों और उपयोग कर रहे दुकानदारों पर शिकंजा कसा जाएगा। कोर्ट और शासनादेश की मंशा हर हाल में पूरी होगी।
मीरा सिंह, अधिशासी अधिकारी, सदर पालिका