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कोरोना ने बढ़ाई रफ्तार, अभिभावक चिता में डूबे

जागरण संवाददाताफतेहपुर वैश्विक बीमारी कोरोना के संकट के चलते जूनियर तक के विद्यार्थिय

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 06:03 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 06:03 PM (IST)
कोरोना ने बढ़ाई रफ्तार, अभिभावक चिता में डूबे

जागरण संवाददाता,फतेहपुर : वैश्विक बीमारी कोरोना के संकट के चलते जूनियर तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई लिखाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है। नए शिक्षा सत्र के शुरू होते ही कोरोना संक्रमण ने रफ्तार बढ़ा दी है। इससे अभिभावक चिता में डूब गए हैं। 11 अप्रैल के बाद खुल रहे स्कूलों में बच्चों को भेजे या फिर न भेजें इस उधेड़बुन ने लोगों को परेशान कर रखा है। कोविड-19 ने शिक्षा को बुरी तरह से प्रभावित कर रखा है। बीते छह माह में थमी कोरोना की रफ्तार ने एक बार फिर से तेजी पकड़ी हैे। तमाम संजीदगी भरे कदमों को उठाकर खुद और बच्चों को संक्रमण से बचाए रखने वाले अभिभावकों के माथे पर चिता की लकीरें उभर आई हैं। नए शिक्षा सत्र के लिए विद्यार्थियों के माता-पिता द्वारा स्कूल की फीस और कॉपी-किताब की खरीदारी की जा रही है। रुपयों के खर्च के बाद बच्चों का भविष्य संवारने और कोरोना संक्रमण की दिक्कतों ने परेशान कर रखा है।

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बोले अभिभावक

कोरोना संकट का हश्र किसी से छिपा नहीं है। शिक्षा का नया सत्र शुरू होते ही इसने भी रफ्तार भर ली है। ऐसे में समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। मनोज

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- कोरोना ने बीते सत्र की पढ़ाई चौपट कर दी है। नए साल में भी कमोवेश यही स्थिति सामने आ रही है।समझ में नहीं आ रहा है कि बच्चों की पढ़ाई किस तरह से कराएं। राजू

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स्कूल वालों को केवल फीस से मतलब है। बच्चों को स्कूल में संभालना मुश्किल होता है फिर सैकड़ों बच्चों को संभाल पाना मुश्किल होता है। ऐसे में क्या किया जाए।

सतीश गुप्ता

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कोरोना संकट में पढ़ाई लिखाई में रुपयों की बर्बादी है। बीता साल इसका नमूना है। नए शिक्षा सत्र की शुरुआत भी अच्छी नहीं है। ऐसे में बच्चों के सेहत की चिता सता रही है।

उमा शंकर मिश्रा


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