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नेपाल के साथ व्यापारिक संबंधों में मिठास घोल रही मिर्च

संवाद सूत्र, औंग : नेपाल के साथ व्यापारिक रिश्तों में मिठास घोलने का काम यहां की मिर्च कर र

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 10:55 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 10:55 PM (IST)
नेपाल के साथ व्यापारिक संबंधों में मिठास घोल रही मिर्च
नेपाल के साथ व्यापारिक संबंधों में मिठास घोल रही मिर्च

संवाद सूत्र, औंग : नेपाल के साथ व्यापारिक रिश्तों में मिठास घोलने का काम यहां की मिर्च कर रही है। फतेहपुर का औंग कस्बा मिर्च की बड़ी मंडी के रूप में उभरा है। यहां पर किसानों ने बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती शुरू की है। नेपाल के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी यहां की मिर्च की मांग बढ़ी है। कभी मुफलिसी की दौर से गुजर रहे अन्नदाताओं के लिए मिर्च की खेती फायदे का सौदा साबित हुआ है।

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¨बदकी तहसील में मिर्च की पहली बड़ी मंडी मदरी के बाद अब औंग दूसरी बड़ी मंडी बन गई है। इलाके के किसानों ने मिर्च की खेती को बड़े पैमाने पर अपनाया है। देश भर से व्यापारी यहां आकर मिर्च की खरीद करने लगे हैं। औंग में मिर्च के 6 बड़े आढ़ती हैं। शाम होते ही मिर्च बाजार गुलजार होना शुरू हो जाता है। क्षेत्र भर से करीब 30 से अधिक गांव से मिर्च बाजार में आता है। यहां पर प्रतिदिन औसतन 15 डीसीएम मिर्च बाहर लेकर जाती हैं। एक डीसीएम में दस टन मिर्च आता है। आढ़ती उपेंद्र पटेल बताते हैं किसान को मिर्च की खेती से भारी मुनाफा हुआ है। यह नकद फसल है। बाजार भाव भी अच्छा मिलता है। मिर्च की खेती में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। बाजार से मिर्च गोरखपुर, दिल्ली, पंजाब, रायबरेली सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में जा रहा है। सबसे अधिक मिर्च गोरखपुर जा रहा है, यहां से नेपाल पहुंचता है। मिर्च के नेपाल जाने से किसानों को अच्छा भाव भी मिलता है। आढ़ती दिलशाद कहते है मिर्च की खेती से किसान तो सम्पन्न हो ही रहा है, साथ में नेपाल सहित प्रदेश के अन्य बड़े शहरों से व्यापारिक रिस्ते बने हैं। तीन वर्ष लगातार बांग्लादेश पाकिस्तान गई मिर्च

- औंग की मिर्च मंडी से वर्ष 2015, 2016, 2017 में मिर्च बांग्लादेश भी जा चुका है। वर्ष 2016-17 में पाकिस्तान भेजा गया है। आढ़ती रहीश व धर्मेद्र पटेल बताते हैं चालू वर्ष को छोड़ तीन वर्ष लगातार बांग्लादेश औंग से ही मिर्च गई है। दो वर्ष पाकिस्तान मिर्च भेजा गया। मंडी सचिव पीएन गुप्ता कहते है औंग मंडी से पाकिस्तान व बाग्लादेश मिर्च जा चुकी है। इस वर्ष नहीं जा रही है। गोरखपुर होकर नेपाल जरूर पहुंच रही है। सात लाख रुपये मिलता है मंडी शुल्क

मंडी सचिव पीएन गुप्ता बताते हैं मिर्च सर्वाधिक अक्टूबर माह से शुरू होकर दिसंबर माह तक आती है। इस दौरान औंग मंडी से मंडी को प्रतिमाह 5 से 7 लाख रुपये का मंडी शुल्क मिलता है। मंडी शुल्क मिर्च के भाव पर लगता है।


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