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रासायनिक खाद बिगाड़ रही मिट्टी की सेहत

वर्षों से रासायनिक खादों के बूते खेती-किसानी हो रही है अब इसका विपरीत असर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में पड़ता दिखाई दे रहा है। जनपद में मिट्टी की सेहत जांचने के लिए सभी 13 विकास खंडों में एक-एक गांव को माडल के रूप में चयनित कर यहां के किसानों की मिट्टी स्वायल हेल्थ कार्ड स्कीम के जरिए जांची गयी है। जांच रिपोर्ट चौकाने वाली निकली है दरअसल जिले के अधिकांश हिस्सों में मिट्टी के पोषक तत्व कम हो रहे हैं जिससे मिट्टी की सेहत खराब हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 11:29 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 06:27 AM (IST)
रासायनिक खाद बिगाड़ रही मिट्टी की सेहत
रासायनिक खाद बिगाड़ रही मिट्टी की सेहत

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: वर्षों से रासायनिक खादों के बूते खेती-किसानी हो रही है, अब इसका विपरीत असर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में पड़ता दिखाई दे रहा है। जनपद में मिट्टी की सेहत जांचने के लिए सभी 13 विकास खंडों में एक-एक गांव को मॉडल के रूप में चयनित कर यहां के किसानों के खेत की मिट्टी की जांच की गई। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी के सूक्ष्म तत्व कम होते जा रहे हैं।

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मिट्टी में दर्ज की जा रही पोषक तत्वों की कमी का असर यह है कि एक तरफ जहां फसलों का उत्पादन घटता दिखाई दे रहा है, वहीं कृषि उपज की पौष्टिकता पर विपरीत असर पड़ रहा है। जिले के लगभग सभी हिस्सों में मिट्टी में मौजूद रहे सूक्ष्म पोषक तत्व कमजोर हो गए हैं। कृषि विभाग की मिट्टी जांच लैब के प्रभारी प्रेमदान की माने मिट्टी की सेहत में यह प्रभाव लगातार प्रयोग हो रही रासायनिक खादों के कारण हुआ है। अगर प्रभावित खेतों में जैविक खाद का प्रयोग किया जाए तो निश्चित तौर पर किसान अपने खेत की उर्वरा शक्ति को वापस पा सकता है।

जिले की मिट्टी में इन तत्वों की कमी

पोषक तत्व सामान्य मात्रा मौजूदा स्थित

जीवांश कार्बन 0.80 0.28

फास्फोरस 40 केजी प्रति हे. 20 केजी प्रति हेक्टेयर

पोटास 250 केजी प्रति हे. 150 केजी प्रति हेक्टेयर

सल्फर 15 पीपीएम 11 पीपीएम

जिक 1.20 पीपीएम .80 पीपीएम

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4562 में मात्र 1562 के कार्ड बने

यूं तो खेत की मिट्टी जांचने की प्रक्रिया बीते पांच साल पहले शुरू हुई थी। पहले चरण में इसे ग्रिड आधारित जांच के दायरे में रखा गया था। ग्रिड का मतलब यह है कि किसी क्षेत्र में दस हेक्टेयर क्षेत्र की जांच हेतु एक जगह से नमूना लेकर जांच कर ली जाती है। उसी जांच रिपोर्ट को दस हेक्टेयर के क्षेत्र को आधार मान लिया जाता है। मौजूदा वर्ष में यह योजना बंद है, अब जोत आधारित मिट्टी की जांच होती है। इसके तहत हर ब्लाक में एक-एक गांव का चयन कर हर किसान के खेत की मिट्टी जांची जा रही है। जनपद में 4562 किसानों की मिट्टी जांचने का लक्ष्य है, जिसके सापेक्ष 1562 किसानों के खेत की मिट्टी जांची गयी है।

12 तत्वों वाली मिट्टी होती स्वस्थ्य

उप निदेशक कृषि प्रसार एके पाठक ने बताया कि मिट्टी में मुख्य रूप से 12 तरह के तत्व पाए जाते है। जिसमें पीएच, विद्युत चालकता, जीवांश कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास, सल्फर, कापर, मैग्नीशियम, बोरान, आयरन और जिक हैं। अगर यह तत्व सामान्य मात्रा में है तो मिट्टी सेहतमंद मानी जाएगी। अगर उक्त तत्वों में असमानता है तो मिट्टी का स्वास्थ्य खराब माना जाएगा। फिलहाल हमारे जिले में 12 में से पांच तत्वों की स्थिति कमजोर है।

इन गांवों में हुई मिट्टी जांच

बम्हरौली, चम्पतपुर, जगतपुर, ओरम्हा, टिकरा, गोपालपुर अढैना, उरदौली, सरांय सहिजादा, दनियालपुर, नरौली बुजुर्ग, कोरारी, बेरूई ऐसे गांव है जहां हर किसान के खेत की मिट्टी जांची जा रही है। किस जगह की मिट्टी का हाल क्या है इसके लिए किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड भी प्रदान किया जा रहा है।


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