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प्यासों को खोजे नहीं मिल रही सुराही और मटके

फतेहपुर गर्मी के मौसम में मंगलवार को मौसम ने एकबार फिर से करवट ली है। सुबह से दोपहर तक चटख धूप रही है फिर एकबारगी आसमान में काले बादल छा गए और तेज हवाएं चलने से मौसम खुशनुमा हो गया। आसमान में बादल छाए रहने और हवाएं चलने से बरसात की उम्मीद की जाती रही है। थरियांव विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक सचिन शुक्ला ने बताया कि मुंबई में तूफान आने के कारण जिले में भी इसका प्रभाव होगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जिले में आंधी और बरसात की संभावनाएं हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि तेज हवाएं चलने के समय पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचें। इसके साथ ही जिले में तापमान अधिकतम 37 और न्यूनतम 27 डिग्री सेल्सियस रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 07:05 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 06:07 AM (IST)
प्यासों को खोजे नहीं मिल रही सुराही और मटके
प्यासों को खोजे नहीं मिल रही सुराही और मटके

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : कोरोना वायरस के वैश्विक संकट ने मिट्टी के बर्तन बनाने का कारोबार चौपट कर रखा है। लॉकडाउन के चलते घड़े, सुराही व मटके कम संख्या में बनाए हैं। अब जब बाजार में गर्मी के कारण इनकी मांग अधिक हो गई है तो यह सब खोजे नहीं मिल रहे हैं। इससे जरूरतमंदों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि मांगलिक कार्यों में लगे ब्रेक के चलते कुम्हारी कला के लोगों ने इसका निर्माण भी कमतर किया है। इसके चलते यह लोगों की पहुंच से दूर हो गए हैं।

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घरों में भले ही रेफ्रिजरेटर का ठंडा पानी उपलब्ध हो लेकिन तमाम लोग ऐसे हैं जो मिट्टी के घडों से अपना जुड़ाव अलग नहीं कर पाए हैं। गर्मी के दिनों में फ्रिज के पानी के बजाए वह इसका पानी पीते आए हैं। वहीं गले में टॉसिल्स आदि की समस्या वाले लोगों चिकित्सकीय परामर्श के आधार पर इसका शीतल पानी पीते हैं। बदले हुए परिवेश में इन बर्तनों को खोज पाना मुश्किल हो रहा है। कारण कि सड़कों के किनारे मिल नहीं रहें हैं तो सभी को इनके कारोबारियों का ठिकाना पता नहीं है तो कई कारीगरों के यहां इनकी उपलब्धता नहीं है।

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इस दफा सड़कों के किनारे और चिन्हित दुकानों में मिट्टी की सुराही और मटके आदि नहीं मिल रहे हैं जिससे दिक्कत हो रही है।

श्रेयांश गुप्ता

गर्मी से लौटने के बाद घड़े का एक लोटा पानी मिल जाए तो प्यास बुझ जाती थी। यह खूबी फ्रिज के ठंडे पानी में नहीं है।

होरीलाल तिवारी

कुम्हारी कला से जुड़े परिवार बताते हैं कि लॉकडाउन में बिक्री का अवसर नहीं था तो फिर सीजन की चीज क्यों बनाएं।

राम गुप्ता

प्यास बुझाने के साथ ही धार्मिक कार्यों में मिट्टी के बर्तनों की उपयोगिता होती है, लेकिन इनको खोज पाना बड़ा मुश्किल है।

रवींद्र जायसवाल


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