कोरोना छोड़िये-बुखार नहीं रोक पा रहे डॉक्टर, अब तक 42 मौतें
संवाद सहयोगी बिदकी कोरोना का डर व खौफ तो चल ही रहा है सब को मालूम है कि इसका को
संवाद सहयोगी, बिदकी : कोरोना का डर व खौफ तो चल ही रहा है, सब को मालूम है कि इसका कोई कारगर उपचार नहीं बन पाया है। यह बात छोड़ दीजिए, जिले में तो बुखार का भी कारगर उपचार डॉक्टर नहीं कर पा रहे हैं। यह बात हम नहीं कर रहे बल्कि बीमारी से उपजे हालात बयां कर रहे हैं। बीते डेढ़ माह में बिदकी तहसील के 15 गांवों में बीमारी का कहर बरपा है, जिसमें एक-दो नहीं 42 लोगों को जान गंवानी पड़ी। गांवों में लगी स्वास्थ्य टीमें इनके लिए कारगर उपचार नहीं पाई।
अगस्त माह में बहरौली गांव से शुरू हुए बुखार ने अब तक 15 गांवों को गिरफ्त में ले लिया है। बहरौली में डेंगू का लार्वा होने की पुष्टि के बाद यहां पर स्वास्थ्य टीमें सक्रिय हुई, हालांकि यहां के लोगों को कारगर इलाज नहीं दे पाई। बुखार से सबसे अधिक मौतें बहरौली, नोनारा, मंगलपुर टकौली व बुढ़वा में हुई हैं। यहां पर मौतों के बाद अब भी बीमारी कम नहीं हुई है। अब भी बुखार के नये पीड़ित निकल रहे हैं। सीएचसी बिदकी का इमरजेंसी वार्ड पिछले तीन दिनों से बुखार पीड़ितों से फुल चल रहा है। सीएचसी के अधीक्षक डा. सुनील चौरसिया ने कहा बुखार पीड़ित सबसे अधिक आ रहे हैं। अधिकांश लोग वायरल बुखार से पीड़ित हैं।
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किस गांव में कितनी बुखार से मौतें
-कंजरन डेरा -2, बुढ़वा-5, लहुरी सरांय-3, मंगलपुर टकौली-5, नोनारा-6, नसेनिया-1, आजमपुर गड़वा-2, जाफरपुर सिठर्रा-1, बहरौली-7, सिकट्ठनपुर-1, छीछा-2, करोइयां-1, कछेरुवा-2, टीचर कालानी जहानाबाद-1, कंशाखेड़ा में -1, चांदपुर-2 मौत हो चुकी है। इन मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग बीमारों को कारगर इलाज नहीं दे पा रहा है। गांव में अब भी सैकड़ों की संख्या में लोग बुखार से पीड़ित हैं।
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बीमार गांव में पहुंची स्वास्थ्य टीमें
-सीएचसी अमौली के नोनारा कंजरन डेरा गांव पहुंची स्वास्थ्य टीम ने 24 बीमारों का इलाज किया। यहां पर 6 बीमारों की मलेरिया किट से जांच कराई गई। यह जांच नेगेटिव पाई गई है। चांदपुर गांव में स्वास्थ्य टीम ने 30 बीमारों का इलाज किया है। यहां पर सभी को दवाएं दी गई हैं। दोनों गांव में एंटी लार्वा का छिड़काव किया गया है।
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निरोधात्मक कार्रवाई सबसे ज्यादा किया-सीएमओ
-सीएमओ डॉ एसपी अग्रवाल ने कहा कि बिदकी तहसील के जिन जिन गांवों में बीमारी की सूचना मिली हमने निरोधात्मक कार्रवाई वहां सबसे ज्यादा की। टीमें अब भी कैंप कर रही हैं। बड़ी समस्या यह है कि लोग सरकारी उपचार पर कायम नहीं रहते और वह प्राइवेट नर्सिंग होम चले जाते हैं। जिन्होंने सरकारी उपचार नियमित लिया वह अब ठीक हो रहे हैं।