गांव के 13 हजार हैंडपंप खराब, लगती लाइन
जागरण संवाददाता फतेहपुर गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल की किल्लत शुरू हो गई है। 840 ग्रा
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल की किल्लत शुरू हो गई है। 840 ग्राम पंचायतों में 13 हजार हैंडपंप बंद है, अब इन हैंडपंपों से न तो पानी निकल रहा है, और न ही इनके सुधरने की उम्मीद रह गई है। जिसके चलते ग्रामीण हर दिन पीने के पानी जुटाने को मुसीबतों का सामना करते हैं। नतीजा यह है कि एक एक हैंडंपंप में पानी भरने के लिए लंबी कतारें लग जाती हैं। हैंडपंपों की यह स्थिति तब निकल कर आई जब लोकसभा चुनाव को बूथों के साथ गांवों में पेजयल की पड़ताल की गयी है। बंद हैंडपंपों में अधिकांश की संख्या रिबोर वाले हैंडपंपों की है।
बता दें अभी तक जल निगम गांवों में नये हैंडपंप और रिबोर हैंडपंप लगाने का काम करता था, जबकि सामान्य मरम्मत ग्राम सभा से कराई जाती है। वर्तमान व्यवस्था की बात करें तो हैंडपंप लगाने और रिबोर का अधिकार अब ग्राम पंचायत के पास है। ग्राम पंचातयों में यह अधिकार जाने से भले ही प्रधान व सचिव अपना भला कर रहे हो, लेकिन ग्रामीणों को पेयजल समस्या से दो-दो चार होना पड़ता है। ऐसे में यदि समस्या को गंभीरता से न लिया गया तो काफी गंभीर स्थिति बन जाएगी।
मानक के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 70 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसी मानक जिले में ग्रामीण पेयजल संसाधनों में मुख्य तौर पर हैंडपपों पर जोर दिया गया है। जिले की 30 लाख की आबादी को पेयजल की सुविधा मिले इसके लिए कुल 53804 हैंडपंप लगाए गए है। रिपोर्ट के मुताबिक करीब दस हजार (5500 रिबोर व 4500 अस्थाई खराबी) हैंडपंपों ने पानी देना छोड़ दिया है जबकि अभी गर्मी शुरू नहीं हुई है। निजी कब्जे का शिकार हैंडपंप
हैंडपंप जल निगम के धन से लगा हो या फिर विधायक या विधान परिषद सदस्य की निधि से इसे सार्वजनिक स्थल पर ही लगाया जाना चाहिए। लेकिन जिले में ऐसे सरकारी हैंडपंपों की संख्या बढ़ गयी है जो लगने के बाद अब चाहरदीवारी में पहुंच गये हैं। जिम्मेदार....
पेयजल समस्या पर हमारी नजर बराबर टिकी है, गर्मी से पहले सर्वे कराकर आंकड़े एकत्र कर रहे कि कितने हैंडपंप खराब है और कितने बनाए जा सकते है। समस्या विकराल रूप ले इससे पहले ही इन्हें दुरस्त करने के लिए ग्राम पंचायतों को निर्देश दिए गए है।
- चांदनी सिंह सीडीओ