Move to Jagran APP

महात्मा रामचंद्र समाधि : 'जाति-पांति पूछै न कोई'

By Edited By: Published: Sat, 23 Apr 2011 06:26 PM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2011 12:39 AM (IST)

फर्रुखाबाद, कार्यालय संवाददाता : 'जाति-पांति पूछै न कोई, हरि को भजै सो हरि का होई' फकीर पहले फकीर होते हैं बाद में कुछ और। धर्म निरपेक्षता का इससे अच्छा उदाहरण और कहीं नहीं मिलता। महात्मा रामचंद्र जी महाराज ने हिंदू मुसलमान के बीच खाई को पाट दिया। पीढि़यों से चली आ रही श्रद्धा और विश्वास देश-विदेश से लोगों को उनकी समाधि तक खींच लाती है। यह पवित्र समाधि स्थल उन लोगों के लिए आईना है जो धर्म और पूजा पद्धति के नाम पर लकीरें खींचते हैं। दरअसल यह तो है सर्व धर्म की इबादतगाह। वार्षिक भंडारे में देश भर से उनके अनुयायी यहां माथा टेकने पहुंचे हैं।

loksabha election banner

फतेहगढ़-कानपुर रोड स्थित महात्मा रामचंद्र महाराज की समाधि स्थल पर पहुंचते ही अद्भुत शांति का अहसास होता है। महात्मा रामचंद्र ने जो रास्ता दिखाया उसका मुख्य उद्देश्य था कि हम अपने को भूलकर ईश्वर से जुड़ें। ईश्वर तक पहुंचने के लिए उन्होंने आंतरिक अभ्यास और योग को माध्यम बनाया। उनके अनुयायी कहते हैं कि निराकार ब्रह्मा से जुड़कर ही जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है।

देश के चार बड़े सिलसिलों में से एक नक्सबंदिया सिलसिले के 36वें गुरु रामचंद्र जी महाराज को लोग लाला जी के नाम से जानते हैं। महात्मा रामचंद्र जी महाराज का जन्म दो फरवरी 1873 को हुआ। उनके जन्म के बाद ही उनके पिता हरबख्श राम नितगंजा मोहल्ले में रहने चले गये। घर छोटा होने से उन्होंने पढ़ाई के लिए मुफ्ती साहब मोहल्ले के पाठशाला की एक कोठरी भी किराये पर ले ली। यहीं दूसरी कोठरी में मौलाना फजल अहमद रहते थे। महात्मा रामचंद्र उन दिनों घटियाघाट पर चल रहे स्वामी ब्रह्मानंद के सत्संग में जाने लगे। स्वामी ब्रह्मानंद कभी-कभी मौलाना फजल अहमद के साथ भी सत्संग करते थे। इसी बीच 1891 में लाला जी को कलक्ट्रेट में नौकरी मिल गयी। वह मौलाना फजल अहमद की सेवा के लिए समय निकाल लेते थे। एक दिन मौलाना ने रामचंद्र जी महाराज से कहा कि तुमने बहुत सस्ते दामों में वह दौलत प्राप्त कर ली है जिसका कोई मोल नहीं है। 23 जनवरी 1896 को सायं पांच बजे उन्होंने रामचंद्र जी को लौकिक रूप में अपना लिया। इसके 10 माह बाद ही 11 अक्टूबर 1896 को उन्होंने महात्मा रामचंद्र को अपने पूर्ण अधिकार देकर गुरु पदवी पर बैठा लिया।

महात्मा रामचंद्र जी के नाम से चल रही अनेक शाखाओं के माध्यम से उनकी पद्धति का प्रचार किया जा रहा है। इनमें मुख्य हैं रामचंद्र मिशन, रामाश्रम सत्संग मथुरा, रामाश्रम सत्संग कन्नौज व गाजियाबाद। मुख्य शाखा लाला जी निलयम के नाम से उनके निवास स्थान फतेहगढ़ में कार्यरत हैं। वहीं दूसरी ओर लाला जी निलयम के डीन आफ सीट दिनेश कुमार के प्रेस सेक्रेटरी डा.शिवराम दास ने बताया कि निलयम के जिस हाल में सत्संग होता है उसका नाम समाधि धाम मंडपम रख दिया गया है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.