नारी स्वाभिमान के गूंजे काव्य स्वर
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : 'कभी शोहरत कभी उल्फत कभी गुरबत मिली हमको, हमारी ¨जदगी ह
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : 'कभी शोहरत कभी उल्फत कभी गुरबत मिली हमको, हमारी ¨जदगी हर रोज इक सौगात लाई है।' नारी स्वाभिमान के ऐसे ही स्वर रविवार को महादेवी स्मृति पीठ की काव्य गोष्ठी में गूंजे। कन्नौज के रचनाकार विश्वनाथ द्विवेदी को महादेवी स्मृति सम्मान से नवाजा गया।
महादेवी स्मृति पीठ की ओर से नुनहाई स्ट्रीट में भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती व 11 सितंबर को महादेवी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। नवोदित रचनाकार रेजीना सहर ने मुन्नी बेगम शीर्षक से 'कभी शोहरत कभी उल्फत..' कविता से महिलाओं के जज्बे को उभारा तो सब वाह-वाह कर उठे। उत्कर्ष अग्निहोत्री ने बालिकाओं के शिक्षा का आकाश चूमने को समर्पित 'नई हवाओं की चाहतें अब वरक किताबों के खोलती हैं' रचना से सराहना पाई। बृजकिशोर ¨सह ने असुरक्षित वातावरण पर चुटकी लेते हुए 'रतजगा करना हमारा फर्ज है यारों' रचना सुनाई। राघव शुक्ल सीतापुर, डा. अमरनाथ कन्नौज, गीता भारद्वाज, महेशपाल ¨सह उपकारी, उपकार मणि, रामअवतार शर्मा इंदु ने भी रचनाएं पढ़ीं। गोष्ठी का संचालन कर रहे साहित्यभूषण डॉ. शिवओम अंबर की पुस्तक प्राक्कथन, संस्मरण और समीक्षाएं का साहित्यकारों ने विमोचन किया। कन्नौज के वरिष्ठ रचनाकार विश्वनाथ द्विवेदी को महादेवी स्मृति पीठ सम्मान प्रदान किया गया। रमेश चंद्र त्रिपाठी ने साहित्यकारों का स्वागत किया। पदमश्री गोपाल दास नीरज व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आरसी सक्सेना, अर¨वद पालीवाल, आलोक गौड़, राजीव मिश्रा आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता डा.भानुदत्त शर्मा ने की।