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बिजली बिल नहीं जमा किया तो होंगे बेदखल

जनपद की चार कांशीराम कालोनियों में रहने वाले उपभोक्ताओं पर 10.73 करोड़ रुपये से अधिक बिजली विभाग की बकाएदारी है। जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने वसूली कैंप में हंगामा करने वाले दबंग के खिलाफ कार्रवाई व पर्याप्त सुरक्षा बल के साथ कालोनियों में रहने वाले उपभोक्ताओं का सत्यापन कर वसूली करने के आदेश दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 06:37 PM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 06:01 AM (IST)
बिजली बिल नहीं जमा किया तो होंगे बेदखल

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जनपद की चार कांशीराम कॉलोनियों में रहने वाले उपभोक्ताओं पर 10.73 करोड़ रुपये से अधिक बिजली विभाग की बकायेदारी है। जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने वसूली कैंप में हंगामा करने वाले दबंग के खिलाफ कार्रवाई व पर्याप्त सुरक्षा बल के साथ कॉलोनियों में रहने वाले उपभोक्ताओं का सत्यापन कर वसूली करने के आदेश दिए हैं।

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जिले में हैवतपुर गढि़या, टाउनहॉल, बंधौआ व मोहम्मदाबाद स्थित कांशीराम कालोनियों में लगभग 1800 परिवार रहते हैं। वर्ष 2010 से अब तक किसी भी उपभोक्ता ने विद्युत बिल जमा नहीं किया। सर्वाधिक 6.78 करोड़ रुपये हैवतपुर गढि़या कॉलोनी के उपभोक्ताओं पर बकाया हैं। जिलाधिकारी ने आसान किश्त योजना के तहत वसूली कैंप में हंगामा करने वाले दबंग युवक के खिलाफ कार्रवाई करने व कालोनियों में रहने वाले उपभोक्ताओं का सत्यापन कर बिजली बिल की वसूली करने के आदेश दिए हैं। आरसी में पूर्ण पता अंकित न हुआ तो फंसेंगे अधिकारी

जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि बिजली विभाग के अधिकारियों की ओर से जारी आरसी में पूर्ण पता अंकित न हो तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इससे पूर्व जारी आरसी में विद्युत विभाग से सभी उपभोक्ताओं के सही पते अंकित कराए जाएं, ताकि राजस्व वसूली के दौरान उपभोक्ताओं को आसानी से ढूंढ़ा जा सके। मृत उपभोक्ताओं के वारिस होंगे चिह्नित

बिजली विभाग में लगभग 20 वर्षो से ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र के उपभोक्ताओं के खिलाफ बिजली बिल जमा न करने पर आरसी जारी की गई। राजस्व कर्मियों ने जांच की तो पता चला कि उपभोक्ता की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट लगाकर राजस्व विभाग ने आरसी वापस भेज दी। इससे कई हजार आरसी विभाग में डंप हैं। ऐसे उपभोक्ताओं पर कई सौ करोड़ रुपये बकाया हैं। डीएम ने विद्युत व राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस तरह की सभी आरसी की सूची तैयार की जाए। अभियान चलाकर मृतकों के वारिस चिह्नित किए जाएं, ताकि उनसे वसूली की जा सके।


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