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काव्यांजलि में गूंजे राष्ट्र उन्नयन के स्वर

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : हर कोई अपना कर्तव्य निभाए। भाईचारा व सौहार्द का रंग गाढ़ा ह

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 11:10 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 11:10 PM (IST)
काव्यांजलि में गूंजे राष्ट्र उन्नयन के स्वर

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : हर कोई अपना कर्तव्य निभाए। भाईचारा व सौहार्द का रंग गाढ़ा ही रहे। नफरतों को हराकर सेवा का भाव जगा लें। कुछ ऐसे ही राष्ट्र उन्नयन के स्वर काव्यांजलि की रचनाओं में गूंजे।

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के निर्वाण के एक माह पूर्ण होने पर शहर के नुनहाई स्ट्रीट स्थित ¨हदी भवन में रविवार को काव्यांजलि का आयोजन किया गया। संयोजक सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी व सांसद मुकेश राजपूत की मौजूदगी में साहित्यकारों ने पूर्व प्रधानमंत्री को एक-एक रचना समर्पित की। कार्यक्रम अध्यक्ष व संचालक डा.शिवओम 'अंबर' ने भाईचारे को समर्पित 'इसमें नफरत की गंध है यारों, ये मेरे गांव की हवा ही नहीं' रचना से प्रभाव छोड़ा। नवोदित उत्कर्ष अग्निहोत्री ने अटल बिहारी की रचना 'निज हाथों से हंसते-हंसते आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा' को गायन रूप में प्रस्तुत किया। बीके ¨सह ने गीत के रंग घोलता हूं, महेश पाल ¨सह ने देश पूरा देखता का देखता ही रह गया रचना सुनाई। नलिन श्रीवास्तव, इंदु शर्मा, गीता भारद्वाज, प्रीति तिवारी, उपकार मणि ने भी काव्य पाठ किया। जिला भाजपा अध्यक्ष सत्यपाल ¨सह, वीरेंद्र ¨सह राठौर, डा. भूदेव ¨सह राजपूत, राजेश अग्निहोत्री, शैलेंद्र ¨सह राठौर आदि मौजूद रहे। गणेश उत्सव समिति नुनहाई की ओर से आशीष मिश्रा ने साहित्यकारों का स्वागत किया। काव्यांजलि में अटल जी की कविताओं की गूंज

कमालगंज : भाजपा के काव्यांजलि कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की रचनाओं की गूंज रही। Þतेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहे न रहें' को जमकर सराहा गया। ग्राम पंचायत गदनपुर देवराजपुर में आयोजित काव्यांजलि में विधायक नागेंद्र ¨सह राठौर ने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के चित्र पर माल्यार्पण व श्रद्धांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कवि सम्मेलन में आए कवियों ने पूर्व प्रधानमंत्री की रचनाओं का काव्य पाठ किया। कवियों की रचनाओं पर जमकर तालियां बजीं। विधायक ने कहा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई एक अच्छे नेता ही नहीं बरन बहुत अच्छे कवि भी थे। कवि रामआसरे निराला राही ने संचालन किया। डा. देवदत्त राजपूत, शिवकुमार, सतीश शंखवार, गुरुचरण आजाद, प्रधान रामचक्र आदि ने कार्यक्रम की व्यवस्था देखी।


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