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अकाखेड़ा के ग्रामीणों ने दान व श्रमदान से बना डाला पक्का नाला

संवाद सहयोगी कायमगंज कायमगंज विकास खंड की ग्राम पंचायत पचरौली महादेवपुर के मजरा अकाखेड़ा गांव के ग्रामीणों ने वह करिश्मा कर दिखाया जिसे मील का पत्थर माना जा रहा है। विकास कार्य न होने व समस्याओं के लिए हमेशा शासन प्रशासन का मुंह ताकने वाले लोगों को सबक है कि यदि संगठन व सकारात्मक सोच हो तो बड़ी से बड़ी समस्या का हल चुटकियों में संभव है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 06:26 AM (IST)
अकाखेड़ा के ग्रामीणों ने दान व श्रमदान से बना डाला पक्का नाला
अकाखेड़ा के ग्रामीणों ने दान व श्रमदान से बना डाला पक्का नाला

संवाद सहयोगी, कायमगंज : कायमगंज विकास खंड की ग्राम पंचायत पचरौली महादेवपुर के मजरा अकाखेड़ा गांव के ग्रामीणों ने वह करिश्मा कर दिखाया, जिसे मील का पत्थर माना जा रहा है। विकास कार्य न होने व समस्याओं के लिए हमेशा शासन प्रशासन का मुंह ताकने वाले लोगों को सबक है, कि यदि संगठन व सकारात्मक सोच हो तो बड़ी से बड़ी समस्या का हल चुटकियों में संभव है।

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ग्राम अकाखेड़ा में गंदे पानी की निकासी का कोई सरकारी इंतजाम नहीं हुआ, तो यहां के जागरूक ग्रामीणों ने एक सार्थक पहल की। आपस में चंदा कर नाला निर्माण की योजना बनाई और श्रमदान कर खुद ही नाला बनाने में जुट गए। नाला निर्माण अब अपने अंतिम चरण में है। इस गांव में करीब 90 घर हैं, पूरे गांव के घरों के पानी की निकासी का सही इंतजाम न होने से पानी गलियों व सड़कों पर भरा रहता था। ग्राम पंचायत स्तर पर कोई सुनवाई न होने पर ग्रामीणों की चौपाल बैठी, तो तय हुआ कि जब कहीं सुनवाई नहीं तो क्यों न खुद ही इस काम को कर डाला जाए। गांव के आधे क्षेत्र के करीब 50 परिवार राजी हो गए। उनके क्षेत्र से गांव के तालाब तक नाले जैसी चौड़ी नाली की लंबाई करीब 150 मीटर अनुमान लगाई गई। राज मिस्त्री से परामर्श करने पर पता लगा कि निर्माण सामग्री व राजमिस्त्री के मेहनताने सहित करीब 45 से 50 हजार का व्यय हो सकता है। सभी 50 परिवारों ने एक-एक हजार नकद योगदान करने के साथ अपनी ओर से श्रमदान की बात कही। जिससे काम शुरू हो गया। ईट, सीमेंट, मौरंग, बालू, गिट्टी मंगा ली गई। तकनीकी निर्माण कार्य के लिए दो राज मिस्त्री लगे। श्रमदान में ग्रामीण, महिलाएं व बच्चे जुट गए। इस कार्य में रामदुलारे, भगवान सिंह, हंसराज, चंद्रपाल, विश्वनाथ, फकीरेलाल, बृजलाल, कुंवरपाल, सुरेश चंद्र, हरीशचंद्र, रेशमादेवी, मोनी, वर्षा देवी, कांती देवी व राजवती का महत्वपूर्ण योगदान रहा। लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। बाकी काम भी दो-तीन दिन में निपट जाने की उम्मीद है। इस काम से आधे गांव में जल निकासी का पर्याप्त इंतजाम हो जाने के साथ सफाई व स्वच्छता तो होगी ही। इन ग्रामीणों ने अपने इस कदम से आसपास के ग्रामीणों को एक सकारात्मक संदेश भी दिया है।


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