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महादेवी को किया नमन, गोष्ठी में बही गीतों की धारा

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद हिदी के विशाल मंदिर की सरस्वती महीयसी महादेवी वर्मा को उनकी

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 10:52 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 10:52 PM (IST)
महादेवी को किया नमन, गोष्ठी में बही गीतों की धारा

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : हिदी के विशाल मंदिर की सरस्वती महीयसी महादेवी वर्मा को उनकी जयंती पर बुधवार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। विभिन्न संस्थाओं की ओर से प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। काव्य गोष्ठी में महादेवी के गीतों की धारा बही।

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शहर के गणेश प्रसाद मोहल्ले में सन् 1907 की फाल्गुन पूर्णिमा को जन्मीं महादेवी वर्मा के जयंती दिवस पर रेलवे रोड स्थित उनकी प्रतिमा पर विभिन्न संस्थाओं की ओर से पुष्पार्चन हुआ। अभिव्यंजना, महादेवी स्मृतिपीठ, अभिव्यक्ति, राष्ट्रीय कवि संगम, साहित्य परिषद व दीप संस्था की ओर से प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर साहित्यकारों ने कहा कि महादेवी वर्मा ने रूढि़यों व परंपराओं से मुक्ति के साथ नवजीवन का संदेश दिया। डा.कृष्णकांत अक्षर, डा.श्रीकृष्ण गुप्ता, डा.राजकुमार सिंह, देवकी नंदन गंगवार, रवींद्र भदौरिया आदि भी रहे। संस्कार भारती की ओर से सुरेंद्र पांडेय, अरविद दीक्षित, प्रीति तिवारी, अनुभव सारस्वत आदि मौजूद रहे। रामअवतार शर्मा इंदु ने काव्य पाठ किया। गीत की ये चांदनी आती रहे

नुनहाई स्ट्रीट में महादेवी स्मृति पीठ की ओर से आयोजित काव्य गोष्ठी में मैनपुरी के गीतकार बलराम श्रीवास्तव ने 'कृष्ण के माथे पे जब तक मोर की पांखी रहे, गीत की ये चांदनी आती रहे' पंक्तियों से युवा रचनाकारों में उत्साह भरा। उन्हें राजन माहेश्वरी, रमेश चंद्र त्रिपाठी, अरविद पालीवाल, राजीव मिश्रा आदि ने सारस्वत सम्मान प्रदान किया। युवा कवि उत्कर्ष अग्निहोत्री को पांचाल प्रकाशन का प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा गया। संचालक साहित्य भूषण डा.शिवओम अंबर ने महादेवी की प्रारंभिक पंक्तियां 'ठंडे पानी से नहलातीं' के साथ महादेवी की साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डाला। डा.अंबर की पुस्तक 'समीक्षा के निकष' का लोकार्पण भी किया गया। अध्यक्षता विष्णु नारायण शुक्ल ने की। बृजकिशोर सिंह, गीता भारद्वाज, महेश पाल उपकारी, वैभव सोमवंशी, शिवओम चौहान, डा.रेजिना शहर, मधु गौड़, उपकार मणि व निमिष टंडन ने काव्य पाठ किया।


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