मौसम गुलाबी होते ही उड़ने लगी गजक की सुगंध
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : ठंड के मौसम में गर्म तासीर वाली गजक सबकी पसंद है। इसी पसंद क
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद :
ठंड के मौसम में गर्म तासीर वाली गजक सबकी पसंद है। इसी पसंद के कारण जिले की गजक की डिमांड दिल्ली, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में होती है। मौसम गुलाबी होते ही शहर में जगह जगह से गजक की सुगंध बिखरने लगी है। खटपट की आवाज के साथ कारीगर गजक तैयार करने में जुटे हैं। जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे फर्रुखाबाद में तैयार गजक की डिमांड बढ़ती जा रही है।
शहर में पिछले करीब 80 वर्षो से गजक बनाई जाती है। शहर में करीब 20 से 25 गजक के कारखाने हैं। हर कारखाने में कारीगर गजक तैयार करने में जुटे हैं। शहर की बूरा वाली गली, मदारबाड़ी, छेदा चूरनवाली गली, नाला मछरट्टा, पक्कापुल, घुमना आदि मोहल्लों में गजक के कारखाने हैं।
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एक घंटे में तैयार होती सात किलो गजक
गजक बनाने में शुद्ध चीनी या गुड़ में तिल का इस्तेमाल किया जाता है। चार कारीगर मिलकर एक घंटे में करीब सात किलो गजक तैयार करते हैं।
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अब हो गई कई वेरायटी
पहले तो केवल गुड़ और चीनी से ही गजक तैयार की जाती थी, लेकिन वक्त बदलने के साथ और भी चीजें मिलाई जाने लगीं। इस वक्त चीनी और गुड़ की लिकमा, चिक्की, मूंगफली की टिकिया, गुड़ रोल आदि भी बनाए जाते हैं। अब तिल के अलावा गजक में काजू और बादाम भी मिक्स किया जाने लगा है। गजक का स्वाद बढ़ाने के लिए गुलाब और केवड़ा के इत्र का भी प्रयोग होता है।
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महंगे तिल ने डाला असर
गजक में इस्तेमाल होने वाले सफेद तिल के दाम इस बार 200 रुपये प्रति किलो है। इस कारण गजक के दाम भी बढ़ गए हैं। साधारण गजक इस बार 160 रुपये किलो बिक रही है। पिछले वर्ष इसके दाम 140 रुपये तक थे।