चोक नालों से बूंदा-बांदी में भी शहर हो जाता 'पानी-पानी'
फर्रुखाबाद : अंडर ग्राउंड नालों की जल निकासी के सिस्टम पर बसा तीन सौ साल पुराना शहर फर्रु
फर्रुखाबाद : अंडर ग्राउंड नालों की जल निकासी के सिस्टम पर बसा तीन सौ साल पुराना शहर फर्रुखाबाद आज मामूली बूंदा-बांदी में भी पानी-पानी हो जाता है। सीवरेज सिस्टम बनाने की बात तो दूर नगरपालिका चोक नालों की सफाई तक नहीं कर पा रही।
गंगा के किनारे एक ऊंचे टीले पर लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व शहर फर्रुखाबाद की नींव रखते समय नवाब बंगश और उनके वंशजों ने जल निकासी की जरूरत को बखूबी समझा था। मार्डन सीवरेज सिस्टम की तरह पूरे शहर में अंडरग्रांउड नालों का संजाल बनाया गया। इन नालों को पाट का उनके ऊपर सड़कें और गलियां तैयार की गईं। इन नालों को गंगा तक पहुंचने से पूर्व कटरी में छोड़ा गया जिससे नालों का पानी सीधे गंगा में न जाए और बलुई जमीन पानी को सोख ले। कालांतर में जनसंख्या विस्फोट ने सारी योजनाओं की हवा निकाल दी। नाले चोक हो गए। शहर के बीच बने तालाबों पर अवैध कब्जे हो गए। अब तो हालत यह है कि नगर पालिका इन नालों की सफाई तक नहीं करा पा रही है। पॉलीथिन ने समस्या और विकराल कर दिया। कई नालों को पाट के लोगों ने मकान बना लिए हैं। इससे इनकी सफाई भी नहीं हो पाती है। सके चलते मामूली बूंदाबांदी में ही शहर के कई मोहल्लों में जलभराव जैसे हालात बन जाते हैं। नगर पालिका अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाती है।
बरसात शुरू होने से पूर्व डीएम ने नगर पालिका को पावर सेक्शन मशीन से नालों की सफाई के लिए अनुमोदन दिया था। इसके बावजूद अनुमोदन फाइलों में दबा रहा और बरसात में दर्जनों मोहल्लों को जलभराव की मुसीबत का सामना करना पड़ा। वहीं शहर के लिए सीवरेज सिस्टम का लॉलीपॉप विगत लगभग एक दशक से दिखाया जाता रहा है। हालांकि इसकी फाइल जलनिगम, मुख्य अभियंता और शासन के बीच फुटबॉल की तरह मारी-मारी फिर रही है। लगभग डेढ़ सौ करोड़ की डीपीआर विगत दो वर्षों से तैयार पड़ी है, लेकिन बजट के अभाव में योजना परवान नहीं चढ़ सकी है।
नगर पालिका के अभियंता मुकेश जायसवाल ने बताया कि नालों की सफाई का काम चल रहा है। मोहल्ला के छावनी के भूमिगत नाले पर बने मकान तोड़ना मुश्किल था, इसलिए सुपर सक्शन मशीन का ठेका दे दिया गया है। शीघ्र सफाई शुरू हो जाएगी। इससे कई मोहल्लों की जल भराव की समस्या का समाधान हो जाएगा।