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Textile Printing: यूरोप और खाड़ी देशों की पसंद बने फर्रुखाबादी स्कार्फ व शाल

Textile Printing फर्रुखाबादी कपड़े छपाई का डंका विदेश में बज रहा है। यहां पर हाथों से छापे जाने वाले स्कार्फ और शाल की मांग यूरोप में खासी है। कई देशों से इनकी मांग बढ़ी तो छपाई कारखानों की भी रंगत बदल गई।

By vijay pratap singhEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANPublished: Sat, 18 Mar 2023 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2023 08:02 PM (IST)
Textile Printing: यूरोप और खाड़ी देशों की पसंद बने फर्रुखाबादी स्कार्फ व शाल
Textile Printing: यूरोप और खाड़ी देशों की पसंद बने फर्रुखाबादी स्कार्फ व शाल : जागरण

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता: शहर में होने वाली कपड़े छपाई का डंका विदेश में बज रहा है। यहां पर हाथों से छापे जाने वाले स्कार्फ और शाल की मांग यूरोप में खासी है। कई देशों से इनकी मांग बढ़ी तो छपाई कारखानों की भी रंगत बदल गई। कोरोना काल में कपड़ा छपाई का जो कारोबार मंदा पड़ गया था, वह अब 150 करोड़ सालाना से ऊपर पहुंच गया है। इससे यहां के छपाई उद्यमियों का उत्साह बढ़ा हुआ है।

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फर्रुखाबाद शहर में छोटे-बड़े करीब दो सौ से अधिक कपड़ा छपाई कारखाने हैं। कभी इन कारखानों में रजाई के लिहाफ और सूती धोती की छपाई होती थी, लेकिन अब यह काम बंद हुआ तो यहां के व्यापारियों ने छपे कपड़े का नया बाजार तलाशा। विदेशी बाजार में मानकों का पूरा करने की चुनौती थी। विदेशी मानकों को पूरा करते हुए यहां छपे कपड़ों से स्टोल (शाल), स्कार्फ आदि तैयार किए गए। विदेश में स्कार्फ का चलन ज्यादा है।

तेजी से चल रहा है कपड़ा छपाई का काम

इससे कारखानों को गति मिली, लेकिन कोरोना काल में यह काम ठंडा पड़ गया था। कोरोना के बाद छपाई कारखानों में फिर से रंगत आने लगी है। स्पेन, इंग्लैंड, जर्मनी व खाड़ी देशों से मांग आने पर सभी कारखानों में इन दिनों कपड़ा छपाई का काम तेजी से चल रहा है।

इसलिए आते लोगों को पसंद

फर्रुखाबाद के कारखानों में सिल्क, रेयान, सूती कपड़ों पर छपाई के बाद स्कार्फ और शाल (स्टोल) तैयार किए जाते हैं। विदेश में निर्यात करने के लिए इन कपड़ों की छपाई में इको व स्किन फ्रेंडली रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। रंग और कपड़ों की गुणवत्ता तो कहीं भी मिल जाती है, लेकिन यहां पर हाथों से होने वाली विशेष प्रकार की छपाई को विदेश में खासा पसंद किया जाता है। जबकि स्टाल और स्कार्फ जोधपुर, सूरत व अहमदाबाद में मशीन व कंप्यूटर की मदद से डिजिटल छपाई की जाती है।

हैंडवर्क में मिलता ज्यादा लोगों को रोजगार

शहर के प्रमुख छपाई व्यवसायी दिनेश साध ने बताया कि जोधपुर, सूरत व अहमदाबाद में मशीन व कम्प्यूटर से डिजिटल कपड़ा छपाई होती है। उसमें एक साथ 20 से 25 रंग तक छपते हैं, लेकिन फर्रुखाबाद में हाथ से छपने वाले कपड़ों की डिजाइन व रंगों को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इस वक्त कपड़ा छपाई का काम अच्छा चल रहा है। हाथ से कपड़ा छपाई में अधिक लोगों को रोजगार मिलता है।


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