Move to Jagran APP

यहां होती 'कांट्रेक्ट फार्मिंग' की तर्ज पर गन्ना व आम की फसल

संवाद सहयोगी कायमगंज किसान बिल को लेकर इन दिनों कांट्रेक्ट फार्मिंग की चर्चा है। जिसे स

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 10:22 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 10:22 PM (IST)
यहां होती 'कांट्रेक्ट फार्मिंग' की तर्ज पर गन्ना व आम की फसल
यहां होती 'कांट्रेक्ट फार्मिंग' की तर्ज पर गन्ना व आम की फसल

संवाद सहयोगी, कायमगंज : किसान बिल को लेकर इन दिनों 'कांट्रेक्ट फार्मिंग' की चर्चा है। जिसे सामान्य किसान समझ नहीं पा रहे, लेकिन कुछ जानकर किसानों की माने तो कायमगंज क्षेत्र के गन्ना व आम की फसल पहले से ही 'कांट्रेक्ट फार्मिंग' की भांति ही बिकती है। जिसमें फसल बिक्री से पहले ही क्रेता से रेट तय हो जाते हैं।

loksabha election banner

कृषि सुधार बिलों में किसानों को सबसे अधिक भ्रम कांट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर है कि इस व्यवस्था में किसानों व कंपनियों में करार हो जाने से किसानों के खेत चले जाएंगे। फसल पर उनका अधिकार नहीं रह जाएगा। कंपनियां मनमाने ढंग से कम कीमत पर उनकी फसल खरीद ले जाएंगी।

कायमगंज क्षेत्र में गन्ना व आम की फसल कांट्रेक्ट फार्मिंग की तरह ही पहले से बिकती आ रही है। आम की फसल तो व्यापारी आम आने से पहले ही बागवान से दो सीजन के लिए खरीद लेते हैं। इसके बाद आम की फसल चाहे अच्छी रहे या खराब, व्यापारी को पहले तय रकम बागवान को अदा करनी ही पड़ती है। यहां बागवान की मर्जी रहती है कि वह अपनी फसल खुद तुड़वाकर बेचे या व्यापारी से रकम तय कर उसे बेचे।

अरविद कुमार, गांव सहसा जगदीशपुर गन्ना फसल की चीनी मिल को बिक्री तो कांट्रेक्ट फार्मिग जैसी ही लगती है। क्योंकि चीनी मिल किसानों की उपज का पहले से ही आकलन कर किसान को गन्ना आपूर्ति करने का सट्टा निर्धारित कर उन्हें बता देती है कि उनका गन्ना पहले से घोषित सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। इस व्यवस्था से किसान निश्चिंत रहता है कि उसकी गन्ना फसल इतनी कीमत पर तो बिक ही जाएगी।

नन्हें लाल, गांव गंडुआ गन्ना खरीद में सीजन के पहले गन्ना विभाग व चीनी मिल का सर्वे होता है। जिससे यह पहले ही स्पष्ट हो जाता है कि अमुक किसान के खेत में इतना गन्ना अनुमानित रूप से पैदा होगा। चीनी मिल उसी आकलन के अनुरूप पर्ची जारी कर किसानों से गन्ना खरीदती है। जिसके बारे में किसान को पता रहता है कि उसका रेट 300 रुपये क्विटल से अधिक ही होगा। यदि कांट्रेक्ट फार्मिंग की व्यवस्था ऐसी ही है, तो किसानों के लिए हितकारी ही होगी।

- रामसेवक, गांव अलीगढ़ गन्ना की खेती में जो किसान चीनी मिल की इस व्यवस्था से नहीं जुड़ते हैं तो उन्हें गन्ना फसल बेचने में काफी दिक्कत आती है। चीनी मिल के सर्वे व सट्टा निर्धारण से जो किसान चूक जाते हैं, या उससे दूर रहते हैं उन्हें अपनी गन्ना फसल निजी कोल्हू व कारखानों में औने पौने भाव करीब दो सौ रुपये क्विंटल पर बेचने को विवश होना पड़ता है। यदि कांट्रेक्ट फार्मिंग में गन्ने की तरह ही पहले से तय हो जाए कि उसकी अन्य फसलें भी लाभकारी रेट पर जाएं, तो किसानों को दिक्कत क्यों होगी।'

- राकेश कुमार, गांव मझरियां


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.