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विदेशी सैलानियों के लिए बनेंगे संकिसा में सुइट

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : वर्षो से उपेक्षा का शिकार रही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बौद्ध तीर्थस्थली

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 10:42 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 10:42 PM (IST)
विदेशी सैलानियों के लिए बनेंगे संकिसा में सुइट
विदेशी सैलानियों के लिए बनेंगे संकिसा में सुइट

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : वर्षो से उपेक्षा का शिकार रही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बौद्ध तीर्थस्थली संकिसा की जल्द ही तस्वीर बदल जाएगी। शासन ने लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में सात सुइट (लग्जरी रूम) का निर्माण कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए लगभग एक करोड़ से अधिक का बजट भी जारी कर दिया गया है। निर्माण के बाद संकिसा में पर्यटन की उम्मीद बढ़ी है।

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भगवान बुद्ध की स्वर्गावतरण स्थली पर बने प्राचीन स्तूप के स्थान इस समय एक टीला ही रह गया है। इसके बावजूद चीन, जापान, बर्मा, श्रीलंका, कंबोडिया आदि देशों से श्रद्धा से ओतप्रोत विदेशी पर्यटक अक्सर यहां आते रहते हैं, लेकिन विदेशी पर्यटकों के लायक न तो यहां आवासीय सुविधाएं हैं और न ही बाजार की व्यवस्था है।

इसको लेकर लोक निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव राजेश प्रताप ¨सह की ओर से संकिसा के निरीक्षण गृह में सात सुइट के निर्माण की स्वीकृति जारी की है। कुल 213.04 लाख के प्रस्तावित निर्माण लागत में 06.52 लाख रुपये अवमुक्त हो चुके हैं। संकिसा निरीक्षण भवन में आवासीय सुविधाओं के विस्तार से पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जगी है। लोनिवि के अधिशासी अभियंता आदित्य कुमार ने बताया कि परियोजना की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद शीघ्र काम शुरू करवा दिया जाएगा। आंकलित लागत का एक फीसद लेबर सेस श्रम विभाग को भुगतान किया जाएगा। बदहाली के आगोश में है पर्यटन स्थल

स्तूप के भग्नावशेष के तौर पर बचा टीला पुरातत्व विभाग के आधीन है। सनातन और बौद्ध मतावलंबियों के बीच न्यायालय में लंबित वाद में यथास्थिति के आदेश के चलते अब तक स्तूप परिसर में विकास की कोई रूपरेखा नहीं बनी। परिसर में कोई शौचालय तक नहीं है। सफाई और पेयजल के संकट के अलावा लाइट की भी व्यवस्था नही है।

राजनेता वादा कर भूल जाते

बौद्ध विहारों के भिक्षुगणों की शिकायत है कि हर साल बौद्ध महोत्सव पर राजनेता विकास का वादा करते हैं, लेकिन पूरा कुछ नहीं होता। संकिसा के लिये एक रोडवेज बस चलवाने की मांग विधायक और सांसद के समक्ष रखी थी, वो भी अभी तक पूरी नही हुई। संकिसा में एक पीएचसी भी है, लेकिन स्थायी चिकित्सक न होने से पर्यटकों को 50 किमी दूर लोहिया अस्पताल ले जाना पड़ता है। इसी वर्ष अगस्त में लंका मंदिर में अचानक बीमार हुए दो पर्यटकों की लोहिया ले जाते समय रास्ते में ही मौत हो गई थी।


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